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यूपी: बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी भरेंगे प्रदेश की जेलें, घर-घर जाकर जनसंपर्क हुआ शुरू

यूपी: बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी भरेंगे प्रदेश की जेलें, घर-घर जाकर जनसंपर्क हुआ शुरू

यूपी में बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों ने जेल भरो आंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है। निविदा जाते ही बड़े आंदोलन की घोषणा हो जाएगी।

पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण के विरोध में बिजली ने जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। निजीकरण निविदा जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू हो जाएगा। इसलिए जहां शनिवार को सूची बनाई गई वहीं रविवार को विभिन्न स्थानों पर जनसंपर्क अभियान चलाया गया।

बिजली कर्मियों ने रविवार को सभी जिलों एवं परियोजनाओं में बैठक करके जेल भरो आंदोलन की रणनीति भी तैयार की। इसके बाद बिजली कर्मियों की कालोनियों में घर- घर जाकर जेल भरो आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में हुए उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसका खुद ऊर्जा विभाग प्रचार कर रहा है

मार्च 2017 में 40 फीसदी लाइन हानियां थीं, जो घटकर 15.54 फीसदी रह गई हैं। भारत सरकार द्वारा सितंबर 2020 में जारी निजीकरण के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट में यह उल्लेख किया गया है कि जहां वितरण हानियां 16 फीसदी से कम है, उन डिस्काम का निजीकरण नहीं किया जाएगा। फिर भी उत्तर प्रदेश में निजीकरण किया जा रहा है।

सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ें में बताया गया है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल में रोस्टर से ज्यादा बिजली आपूर्ति का दावा किया गया है। एक तरह सुधार की कहानी बयां की जा रही है तो दूसरी तरफ निजीकरण क्यों? संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि निजीकरण के जरिए निगमों की एक लाख करोड़ की संपत्ति को एक रुपये की लीज पर देने की तैयारी है।

निजीकरण का मसौदा ही असंवैधानिक- वर्मा
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कार्पोरेशन का मसौदा पूरी तरह से असंवैधानिक है। यह विद्युत नियामक द्वारा लौटाए गए प्रस्ताव से साबित हो चुका है। इसलिए इसे तत्काल निरस्त किया जाए। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की जिन धाराओं में निजीकरण प्रस्ताव आगे बढाया जा रहा है। उसमें नियमानुसार नहीं बढाया जा सकता है। सरकार चाहे तो अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया से इस पर राय ले सकती है। क्योंकि विद्युत अधिनियम 2003 लोकसभा द्वारा पारित कानून है। उस पर अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया ही उचित विधिक राय दे सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नई बनने वाली पांच बिजली कंपनियों की रिजर्व विड प्राइस 6500 करोड़ तक आंकना भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जिस दिन पूरे मामले की उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच हुई तो प्रस्ताव से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की गर्दन फंसना तय है।मीटर वाले विद्युत पेंशनर्स को मिलेगी 20 फीसदी छूट विद्युत पेंशनर्स परिषद के महासचिव कप्तान सिंह ने बताया कि पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने पेंशनर्स की सभी मांगों को मान लिया है। पेंशनर्स को मीटर लगने पर बिलिंग में विद्युत चार्ज में 20 प्रतिशत की छूट मिलेगी। बिलिंग में आ रही अन्य समस्याओं का भी निस्तारण कर दिया गया है। इस संबंध में सभी अधीक्षण अभियंताओं को आदेश भी जारी हुई है। ईडी में पांच प्रतिशत छूट मिलेगी। मीटर रीडिंग से बिल न बन कर निर्धारित फ्लैट दर में ईसी पर 20 प्रतिशत छूट के साथ ईडी में पांच प्रतिशत चार्ज लिया जाएगा।

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