यूपी नगर विकास विभाग में हाल ही में हुए तबादलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि शासनादेश की खुलेआम अनदेखी करते हुए विभाग ने तबादले किए हैं

यूपी नगर विकास विभाग में हाल ही में हुए तबादलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि शासनादेश की खुलेआम अनदेखी करते हुए विभाग ने तबादले किए हैं
नगर विकास विभाग में हाल ही में हुए तबादलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि शासनादेश की खुलेआम अनदेखी करते हुए विभाग ने तबादले किए हैं। लखनऊ नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह का तबादला अलीगढ़ कर दिया गया है, जबकि उनकी सेवानिवृत्ति में मात्र 1 वर्ष 3 महीने का समय ही शेष है। वहीं, बरेली के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा को प्रयागराज स्थानांतरित कर दिया गया है, जिन्हें मनचाही तैनाती दी गई है। अधिकारियों ने इसे भेदभाव बताते हुए न्यायालय का रुख करने की तैयारी शुरू कर दी है।
लखनऊ नगर निगम में लंबे समय से सेवाएं दे रहे अशोक सिंह खुद इस तबादले को लेकर हैरान हैं। उन्हें न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही तबादले का कोई स्पष्ट कारण बताया गया। उनका तर्क है कि जब सेवानिवृत्ति में इतने कम समय शेष हो, तो उन्हें शासनादेश के तहत वहीं तैनाती दी जानी चाहिए थी, जहां वे रहना चाहते हैं। अशोक सिंह अलीगढ़ से ही कुछ महीने पहले ही ट्रांसफर होकर लखनऊ आए थे अब फिर उन्हें अलीगढ़ भेज दिया गया है पीके मिश्रा को मिली मनचाही पोस्टिंग वहीं दूसरी ओर, बरेली के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पी.के. मिश्रा का तबादला प्रयागराज कर दिया गया है। यह नियुक्ति उनकी मर्जी के अनुरूप बताई जा रही है। मिश्रा पिछले 15 वर्षों से प्रयागराज में सेवाएं दे चुके हैं, बावजूद इसके उन्हें दोबारा वहीं तैनात कर दिया गया है। अधिकारी सवाल उठा रहे हैं कि यदि लंबी तैनाती के आधार पर तबादला हो सकता है, तो फिर मिश्रा को पुराने पदस्थापन स्थल पर कैसे भेजा गया? भेदभाव के आरोपों से गरमाया मामला नगर विकास विभाग में हाल ही में हुए अन्य तबादलों में भी इसी तरह के आरोप सामने आए हैं। कुछ अधिकारियों को नियम विरुद्ध अनचाही जगहों पर भेजा गया है, जबकि कुछ को मनमाफिक तैनाती मिल गई है। इससे विभाग के भीतर भारी नाराजगी है और कई अधिकारी अब कानूनी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शासनादेश का पालन समान रूप से नहीं हो रहा है। लखनऊ में तैनाती के लिए नियम तोड़ा लखनऊ में विनय राय को मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के पद पर तैनाती दी गई है। वह पहले भी लखनऊ नगर निगम में लगभग 7 वर्ष रह चुके हैं। उनकी नौकरी अभी लगभग 9 वर्ष है। शासनादेश के अनुसार लखनऊ में लंबा कार्यकाल होने की वजह से उनकी तैनाती यहां नहीं हो सकती थी। लेकिन उनके लिए नियम तोड़ा गया।