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यूपी खत्म हो चुके कानून में दर्ज की एफआईआर, डीजीपी ने दी चेतावनी; हाईकोर्ट ने भी जताई थी नाराजगी

यूपी खत्म हो चुके कानून में दर्ज की एफआईआर, डीजीपी ने दी चेतावनी; हाईकोर्ट ने भी जताई थी नाराजगी

खत्म हो चुके कानून में एफआईआर दर्ज करने पर डीजीपी ने चेतावनी दी। मामले में हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जताई थी। साथ ही डीजीपी से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने को कहा था।

यूपी के डीजीपी राजीव कृष्ण ने बीते वर्ष समाप्त (निरसित) हो चुके उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1998 के तहत प्रयागराज निवासी युवक पर मुकदमा दर्ज कराने के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मातहतों को चेतावनी दी है कि प्रदेश सरकार द्वारा निरसित अधिनियम के तहत कोई मुकदमा दर्ज न किया जाए। भविष्य में यदि ऐसा कोई प्रकरण सामने आता है तो दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल, बीती 7 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजू वर्मा उर्फ राजीव कुमार वर्मा बनाम उप्र राज्य संबंधित मुकदमे की सुनवाई के दौरान निरसित कानून के तहत प्रयागराज पुलिस के थाना सरायइनायत में मुकदमा दर्ज किए जाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए डीजीपी से इस बाबत परिपत्र के जरिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने को कहा था।

मुकदमा दर्ज करना विधिक दृष्टि से त्रुटिपूर्ण भी है

डीजीपी ने कोर्ट के निर्देश पर मातहतों को जारी परिपत्र में कहा है कि उप्र शासन द्वारा 15 जुलाई 2024 को उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 लागू किया जा चुका है। वहीं उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 1998 निरसित हो चुका है। परीक्षा संबंधी अधिनियम 1998 तथा भारत सरकार अथवा उप्र सरकार द्वारा निरसित अधिनियमों की धाराओं में मुकदमा दर्ज करना विधिक दृष्टि से त्रुटिपूर्ण भी है।

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