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यूपी के अस्पतालों में बेहोशी के डॉक्टरों की कमी है। सरकार हर जगह इन डॉक्टरों को भेजने के लिए अलग-अलग वेतनमान का निर्धारण कर रही है।

यूपी के अस्पतालों में बेहोशी के डॉक्टरों की कमी है। सरकार हर जगह इन डॉक्टरों को भेजने के लिए अलग-अलग वेतनमान का निर्धारण कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग को एनेस्थेटिस्ट (बेहोशी के डॉक्टर) कहीं पांच लाख तो कहीं सिर्फ 70 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर मिल गए हैं। इससे स्पष्ट है कि डॉक्टरों के लिए उनकी सुविधा के अनुसार स्थान ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालांकि, इस वर्ष पांच लाख प्रतिमाह मानदेय वाले डॉक्टरों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। इसमें चार एनेस्थेटिस्ट, एक पीडियाट्रिशियन और एक रेडियोलॉजिस्ट है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मातृ स्वास्थ्य व अन्य परियोजनाओं में चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए रिवर्स बिड (नीलामी) की रणनीति अपनाई गई है। इस वर्ष रिवर्स बिड प्रक्रिया के जरिये 355 विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। इसमें 37 डॉक्टरों का चयन चार से पांच लाख रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर हुआ है। इसमें सर्वाधिक 21 एनेस्थेटिस्ट हैं। दो से तीन लाख मानदेय वाले 51 डॉक्टर हैं। एनएचएम की निदेशक डॉ. पिंकी जोएल ने इनकी सूची जारी करते हुए 28 जुलाई तक इन्हें कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं। कार्यभार ग्रहण नहीं करने वालों की नियुक्ति माहभर बाद रद्द कर दी जाएगी।

न्यूनतम 70 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेयचयनित डॉक्टरों में एक लाख से कम मानदेय वाले 101 डॉक्टर हैं। इसमें 60 डॉक्टर 70 हजार रुपये मानदेय पर रखे गए हैं। 70 हजार मानदेय वालों में पांच एनेस्थेटिस्ट भी हैं। इससे स्पष्ट है कि डॉक्टरों के लिए मानदेय से कहीं ज्यादा स्थान महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उनके मुताबिक अस्पताल में तैनाती की जाए तो वे कम मानदेय में भी कार्यभार ग्रहण करने के लिए तैयार हैं।

ये है रिवर्स बिड

रिवर्स बिड में सबसे कम बोली (मानदेय) वाले को तैनाती दी जाती है। अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट अथवा अन्य विधा के लिए आए आवेदनों में जो सबसे कम मानदेय पर काम करने को तैयार होता है उसे तैनाती दे दी जाती है। जहां सभी ने पांच-पांच लाख में आने के लिए हामी भरी थी, वहां साक्षात्कार के जरिये उपयुक्त विशेषज्ञ का चयन किया गया है। कुछ पदों पर सिर्फ एक ही व्यक्ति ने आवेदन किया था।एनेस्थेटिस्ट की मांग ज्यादाकेजीएमयू के एनेस्थीसिया के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह कहते हैं कि अस्पतालों में एनेस्थेटिस्ट की बेहद कमी है। सर्जरी हड्डी की हो अथवा आंत की। सभी में एनेस्थेटिस्ट अनिवार्य है। ज्यादातर एनेस्थेटिस्ट क्रिटिकल केयर की ओर जा रहे हैं। इससे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में बेहोशी के डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। लेकिन, सरकार की रिवर्स बिड की व्यवस्था कारगर साबित हो रही है। ज्यादा मानदेय मिलने से ग्रामीण इलाके के अस्पतालों में भी एनेस्थेटिस्ट जाने को तैयार हो रहे हैं।

पांच लाख प्रतिमाह मानदेय वाले प्रमुख डॉक्टर

– औरैया के 100 बेड अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट डॉ. अखिलेंद्र चोपड़ा और डॉ. नितिन गौतम- अयोध्या के बीकापुर सीएचसी में एनेस्थेटिस्ट डॉ. अभिषेक सिंह- बस्ती जिला अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट डॉ. शिवम जायसवाल- महराजंगज के 100 बेड एमसीएच अस्पताल पीडियाट्रिशियन (बाल रोग विशेषज्ञ) डॉ. शरीफ नवाज- संत कबीरनगर संयुक्त जिला अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट डॉ. पंकज कुमार गुप्ताचार लाख या इससे ज्यादा मानदेय वाले प्रमुख डॉक्टर- बिजनौर के सियाउ में एनेस्थेटिस्ट डॉ. नरला श्रीवानी 4.96 लाख।- नजीबाबाद में एनेस्थेटिस्ट डॉ. संजय महेश्वरी 4.77 लाख- 100 बेड एमसीएच में एनेस्थेटिस्ट डॉ. शुभम गर्ग 4.74 लाख- बाराबंकी के रामनगर में एनेस्थेटिस्ट डॉ. चांद किरन यादव 4.50 लाख- लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश कुमार 4.40 लाख- लखनऊ के चंदरनगर सीएचसी में फिजिशियन डॉ. अनीशा श्रीवास्तव 4.84 लाख- लखनऊ के सीएचसी एफबी रोड में रेडियोलाजिस्ट डॉ. ध्रुव चंद्रा 4.43 लाख- सीतापुर के ट्रामा सेंटर सुल्तानपुर में एनेस्थेटिस्ट डॉ. रागिनी रानी 4 लाख- गोंडा में 100 बेड एमसीएच में एनेस्थेटिस्ट डॉ. पलक 4 लाख
पिछले वर्ष कइयों ने छोड़ दी थी नौकरी

पिछले वर्ष चित्रकूट के राजापुर में पांच लाख मानदेय पर एनेस्थेटिस्ट की तैनाती की गई थी, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। अन्य स्थानों पर अधिक मानदेय वाले विशेषज्ञों ने कुछ वक्त तक कार्य किया, पर ज्यादातर ने कोई न कोई क कारण बताकर काम छोड़ दिया। कई चिकित्सकों ने बताया कि सीएचसी में उन्हें दवाब का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा और संसाधनों की कमी से वे काम छोड़ने के लिए विवश होते हैं।

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