बाराबंकी एक-लापरवाही पर भड़के ब्रजेश पाठक, लगाई फटकार

बाराबंकी एक-लापरवाही पर भड़के ब्रजेश पाठक, लगाई फटकार
बाराबंकी के जिला अस्पताल में लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भड़क उठे। उन्होंने जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई। जिस समय ब्रजेश पाठक फटकार लगा रहे थे, उसी समय वहां से कुछ किमी दूर एक संयुक्त चिकित्सालय में सड़क हादसे में घायल के कमर पर ही ग्लूकोज बोतल टिकाकर इलाज होता रहा। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाएं कैसे सुधरेंगी… ये बड़ा सवाल है?
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में शनिवार को सरकारी अस्पताल से दो तस्वीरें सामने आईं। एक जिला अस्पताल से जहां डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पहुंचे थे। दूसरी वहां से कुछ दूर स्थित सिरौली गौसपुर स्थित संयुक्त चिकित्सालय से। पहले बात करते हैं जिला अस्पताल की।डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें यहां पर गंदगी फैली मिली। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं पर कुछ लापरवाही भी मिली। इस पर उन्होंने जिम्मेदारों को कड़ी फटकार लगाई।
अब बात करते हैं सिरौली गौसपुर स्थित संयुक्त चिकित्सालय की। जिले में डिप्टी सीएम हैं, यह जानकारी होने के बाद भी यहां पर जिम्मेदार इस तरह बने रहे, जैसे उन्हें देश के सबसे बड़े सूबे के डिप्टी सीएम के होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
दरअसल, बात यह थी कि सड़क दुर्घटना में घायल अयोध्या प्रसाद (55) को संयुक्त चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती तो कर लिया गया। लेकिन, उपचार के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिससे मरीज के परिजन ही नहीं अन्य मरीजों के साथ आए तीमारदार भी आक्रोशित हो उठे। अब चूंकि सबको अपने मरीज का इलाज कराना था, इसलिए सब शांत तो रहे लेकिन अंदर ही अंदर ज्वाला भड़कती रही। उन्होंने अधिकारियों से इसकी शिकायत करने की बात कही है। सिरौली गौसपुर के संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया गया l
अयोध्या प्रसाद के साथ मौजूद राज प्रकाश ने बताया कि वह रामनगर के लोहटी पसाई मोती पुरवा के रहने वाले हैं। वह दवा लेने अस्पताल जा रहे थे। बदोसराय के पास एक वाहन सामने आ गया। इससे बाइक पर ब्रेक लगानी पड़ी। संतुलन बिगड़ा और बाइक गिर गई। गिरने से अयोध्या प्रसाद गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें सिरौली गौसपुर के संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।यहां पर डॉक्टर ने टांके लगाने के बाद ग्लूकोज चढ़ाना शुरू किया। लेकिन, बोतल को स्टैंड की बजाय मरीज की कमर पर रख दिया। परिजन बेड और स्ट्रेचर की तलाश में भटकते रहे। लेकिन, काफी देर तक उन्हें वह भी नसीब नहीं हुआ। घटना से परिजन व अन्य तीमारदारों में आक्रोश
घटना से परिजनों में आक्रोश फैल गया है। अस्पताल में मौजूद अन्य मरीजों के परिजनों ने भी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि यदि अस्पताल में न्यूनतम व्यवस्था भी नहीं है तो इमरजेंसी सेवाओं का औचित्य क्या है? उन्होंने उच्चाधिकारियों से मामले की जांच और जिम्मेदार कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।