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बस्ती : नाग पंचमी पर ग्रामीण आस्था का अद्भुत नजारा , परम्पराओं में बस्ती है श्रद्धा

नाग पंचमी पर ग्रामीण आस्था का अद्भुत नजारा , परम्पराओं में बस्ती है श्रद्धा

इण्डिया नाऊ 24
जिला संवाददाता बस्ती
नवीन कुमार

बस्ती नाग पंचमी का पर्व गांवों में पारंपरिक भक्ति , आस्था और उत्सव के रूप में मनाया गया। ग्रामीण अंचलों में इस दिन का खास महत्व होता है , जहां पुरानी परंपराएं आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। सुबह से ही गांव की महिलाएं घर – आंगन को लीप – पोतकर साफ – सुथरा करती हैं और फिर गाय के गोबर से मकानों की दीवारों और चौखटों को चारों ओर घेरकर नाग – नागिन का चित्र बनाती हैं। यह चित्र प्रतीक होता है नाग देवता की पूजा का , जिन्हें वर्षा और कृषि से जुड़ा रक्षक माना जाता है। महिलाएं एवं कन्याएं दूध , चना और फूल अर्पित कर नाग देवता से परिवार की सुख – शांति की कामना करती हैं। इस दिन व्रत रखने की परंपरा भी है। घरों में स्वादिष्ट पकवान जैसे पूड़ी , कढी , खीर और मीठे चावल , पनीर , गोजिहा , दाल पूड़ी बनाए जाते हैं। पूरा परिवार पारंपरिक व्यंजनों का आनन्द लेते हैं। बच्चों और युवतियों के लिए यह पर्व झूला झूलने का भी दिन होता है। पीपल नीम या आम के पेड़ों पर झूलें लगाएं जातें हैं , जहां झूले पर बैठकर लोकगीतों की गूंज सुनाई देती है। एक खास परंपरा गुड़िया को पानी में पीटना भी नाग पंचमी से जुड़ी है। इसमें गांव की छोटी बच्चियां मिट्टी या कपड़े से बनी गुड़िया को प्रतीकात्मक रूप से पानी में पीटती है। इस प्रथा के पीछे मान्यता है कि इससे रोग और संकट दूर होते हैं तथा गांव में खुशहाली आती है। कहीं कहीं आल्हा का आयोजन होता है। कबड्डी का भी खेल होता है।

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