गुरुग्राम : सबसे उत्तम आसन है ‘आश्वासन’ और सबसे अच्छा योग है ‘सहयोग’- डॉ. सर्वेश्वर

रिपोर्टर इंडिया नाउ 24 सुरेंद्र गुरुग्राम
सबसे उत्तम आसन है ‘आश्वासन’ और सबसे अच्छा योग है ‘सहयोग’- डॉ. सर्वेश्वर
स्वार्थों का विषपान करना सिखाता है महादेव का नीलकण्ठ स्वरुप – डॉ. सर्वेश्वर
Title 3: प्राणीमात्र से प्रेम कर ही प्राप्त कर पाएँगे भगवान नीलकण्ठ की कृपा – डॉ. सर्वेश्वर

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा हुडा ग्राउंड, यूरो इंटरनेशनल स्कूल के पास, सेक्टर 10, गुरुग्राम, हरियाणा में 9-15 नवम्बर 2025 तक सात-दिवसीय भगवान शिव कथा का भव्य
आयोजन किया जा रहा है, जिसका समय शाम 5.00 से रात्रि 8.30 बजे तक है। कथा के
द्वितीय दिवस दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर जी ने समुद्र मंथन प्रसंग
का वर्णन करते हुए बताया कि जब समुद्र मंथन से हलाहल कालकूट विष निकला तो जगत के
कल्याण के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कण्ठ में धारण कर लिया। जिसके कारण उनका
एक नाम नीलकण्ठ भी पड़ गया। स्वामी जी ने कथा का मर्म समझाते हुए बताया कि शिव का
नीलकण्ठ स्वरूप हमें त्याग व सहनशीलता का गुण अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा
देता है। शिव भक्त होने के नाते हमारा भी ये कर्त्तव्य है कि हम भी विषपान करना सीखें।
अर्थात् निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर जगत के कल्याण में अपना योगदान दें। ‘मैं’ से ‘हम’ तक
का सफर तय करें। लेकिन अफ़सोस, आज मानव तो अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की पीठ में
छुरा घोंपते हुए भी संकोच नहीं करता। इन्सान तो क्या, हमने तो बेज़ुबान पशु-पक्षियों को भी
नहीं छोड़ा। जीभ के क्षणिक स्वाद के लिए आज रोज़ाना हज़ारों जीव काट दिए जाते हैं। आज
दुनिया भर में लाखों बूचड़खाने खुल गए हैं, जिनमें नित नई आधुनिक मशीनों द्वारा कुछ
मिनटों में ही लाखों जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, वह भी बड़ी बेरहमी से।
यूँ तो हम महादेव के भक्त हैं परंतु शायद हम ये भूल जाते हैं कि महादेव का एक नाम पशुपतिनाथ भी है। अर्थात् जो पशुओं के स्वामी हैं। स्वयं ही सोचिये पशुओं की हत्या कर क्या
हम अपने पशुपतिनाथ को प्रसन्न कर पाएंगे? प्रभु का सच्चा भक्त ऐसा नहीं होता। वह तो
परपीड़ा को समझ अपने क्षुद्र स्वार्थों का परित्याग कर देता है। उसके लिए तो सबसे श्रेष्ठ
आसन है ‘आश्वासन’ जो वो दीन दु:खियों को देता है; सबसे उत्तम योग है ‘सहयोग’ जो वो
यथाशक्ति प्राणीमात्र का करता है और सबसे लम्बी श्वास है ‘विश्वास’ जो वह रोती अखियों
को प्रदान करता है। इसलिए आवश्यकता है अपने भीतर दया, प्रेम, त्याग व करुणा जैसे गुणों
को विकसित करने की। और ये तब ही सम्भव है जब ब्रह्मज्ञान के माध्यम से हम नीलकण्ठ का
दर्शन अपने घट में प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर कथा पंडाल में महाशिवरात्रि महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें
भक्तों ने नृत्य कर खूब आनंद लूटा। संस्थान की अधिक जानकारी हेतु आप ऑफिसियल
वेबसाइट पर भी विज़िट कर सकते हैं:- https://www.djjs.org/
द्वितीय दिवस के यजमान रहे: श्री प्रेमकृष्ण शर्मा एवं श्रीमती सरला रानी शर्मा (न्यू जर्सी), श्री चंद्र प्रकाश गुप्ता एवं श्रीमती ममता गुप्ता (सेक्टर २२, गुरुग्राम), श्री बिल्ला सिंह खटाना एवं श्रीमती कमलेश देवी (विजय पार्क, गुरुग्राम), श्री मोहनलाल दीवान एवं श्रीमती सुषमा दीवान (शिवपुरी गुरुग्राम) श्री रवि शर्मा एवं श्रीमती ठाकुर जी (सेक्टर 99A, गुरुग्राम), यजमानों के साथ-साथ अनेक विशिष्ट अतिथिगण ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान की, जिनमें मुख्य रूप से श्री R.S. Bhatt (DTP, Gurugram), श्री पवन कुमार जिंदल (President Daultabad road industrial association), श्री अनिल जिंदल, श्री किशोर बिरला, श्री प्रदीप कौल (general secretary confederation of Bahadurgarh industries), श्री अशोक कुमार मित्तल ( Treasurer confederation of Bahadurgarh industries), श्री पुरषोत्तम गोयल (Governing body member confederation of Bahadurgarh industries), श्री एंड श्रीमती हरी गोपाल अग्रवाल, श्री K K Chawla, श्रीमती एंड श्री सुनील काबरा, श्री मामचंद मंढोलिआ सम्मिलित रहे।



