फतेहपुर : एक को मौत की नींद सुला फिर सजी मौत की दुकान

एक को मौत की नींद सुला फिर सजी मौत की दुकान
फतेहपुर। विजयीपुर कस्बे में मौत बांटने की दुकानें जगह जगह पर सजी नजर आ रही है। जिधर देखो उधर परचून की दुकान की तरह बिना लाइसेंस व मान्यता के इनका संचालन भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि एक को मौत की नींद सुला देने वाली दुकान फिर सजी नजर आ रही है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं कस्बे में संचालित हो रहे अवैध अस्पतालों की जो जगह जगह जानवरी बाजारों की तरह ग्राहकों को अपनी ओर बुला रही है। ठीक जानवरी बाजारों की तरह यहां भी सस्ते से सस्ता और महंगे से मंहगा सौदा होता है। फर्क सिर्फ इतना ही की वहां जानवरों की बोली लगती है और यहां इंसानों की। कस्बे में संचालित सतगुरु क्लीनिक के नाम से महसूर मौत की दुकान के बारे में तो आप सबको पता ही होगा अगर नहीं पता तो जान भी लीजिए। यह वही अस्पताल हैं जहां इलाज के दौरान एक युवक की सांसें थम गई थी। युवक की मौत की बाद हंगामा भी हुआ था इस दौरान आनन-फानन में विभागीय अधिकारियों ने अस्पताल को सीज भी कर दिया था। लेकिन अस्पताल संचालक ने मृतक युवक के परिजनों को पैसों की लालच देकर मामले में सुलह समझौता कर लिया। इसके बाद फिर से इस अवैध अस्पताल का संचालन शुरू हो गया।
अस्पताल में न तो कोई डिग्री होल्डर डाक्टर हैं और न ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है। लेकिन अस्पताल में मरीजों की लम्बी लम्बी लाइने लगी है। चौंकिए मत इस बार इस अस्पताल की इंट्री भी धमाकेदार अंदाज में हुई या फिर यह कहें कि भय का भूत अभी भी सवार हैं। जी हां इस बार अस्पताल के बाहर लगे सतगुरु क्लीनिक नामक लगे बोर्ड को हटा कर चोरी छिपे संचालन शुरू हुआ। और तो और अब आप इनके सिस्टम को भी समझ लीजिए। दरअसल कस्बे में एक पैथोलॉजी संचालक से अस्पताल संचालक की तगड़ी साठ गांठ हैं। अनपढ़ गरीब मरीज जांच के लिए पैथोलॉजी पर जाते हैं जहां पैथोलॉजी संचालक द्वारा छोटी सी छोटी बीमारी की रिपोर्ट बड़े मर्ज की तैयार कर दी जाती है। रिपोर्ट आते ही मरीज को गम्भीर बता सतगुरु क्लीनिक में भर्ती कराने की सलाह दी जाती है। जहां पर बैठा बिना डिग्री का तक्का डाक्टर अनपढ़ लोगों को बड़ी आसानी से लूट लेता है। अब सब छोड़िए एक नजर धड़ल्ले से फल फूल रहे इस धंधे पर विभागीय मेहरबानी भी देख लीजिए। दरअसल इस अवैध अस्पताल का संचालन चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय की कुछ ही दूरी पर किया जा रहा है। पर चिकित्सा अधिकारी की नजर इस मौत बांटने की दुकान पर नहीं पड़ रही है। बताया तो यह भी जा रहा है कि अस्पताल संचालक ने विभागीय अधिकारियों का पूरा सिस्टम ही हैंक कर लिया है। अगर विभागीय अधिकारियों का कभी कभार क्षेत्र में दौड़ा भी हो गया तो आने से पहले ही अस्पताल संचालक को सूचना दे दी जाती है। सूचना मिलते ही अधिकारियों के क्षेत्र में रहने तक अस्पताल का सटर बंद कर दिया जाता है और अधिकारियों के जाते ही फिर से इस अवैध अस्पताल का संचालन शुरू हो जाता है।
हालांकि जब इस सम्बन्ध में सीएमओ राजीव नयन गिरी से बात की गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस अस्पताल का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है मौके पर पहुंच जांच की जाएगी अगर अवैध तरीके से संचालन किया जा रहा है तो कार्यवाही की जाएगी।
Balram Singh
India Now24