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प्रयागराज : राजनीतिक आलोचना हर नागरिक का मौलिक अधिकार : हाईकोर्ट

राजनीतिक आलोचना हर नागरिक का मौलिक अधिकार : हाईकोर्ट

– कहा- सोशल मीडिया पर दल की आलोचना से किसी की धार्मिक भावना आहत नहीं होती

प्रयागराज।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर राजनीतिक दल की आलोचना से किसी को धार्मिक भावना आहत नहीं होती।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत राजनीतिक आलोचना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।

कोर्ट ने पुलवामा अटक… कहीं 2019 की तैयारी तो नहीं, जैसी टिप्पणी करने वाले बुलंदशहर के आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की अदालत ने खुर्जा नगर थाना क्षेत्र निवासी फरहीम कुरैशी के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

फरहीम के खिलाफ वर्ष 2019 में राजू त्यागी ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि उसने सोशल मीडिया पर पुलवामा हमले को लेकर पोस्ट करके उसको धार्मिक भावनाएं आहत की हैं।

पुलिस ने भी आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इसका संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट ने याची को बतौर आरोपी अदालत में पेश होने का आदेश दिया।

इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि उसका मकसद राजनीतिक आलोचना का था।

टिप्पणी में कोई भी तथ्य व शब्द धार्मिक भावना को आहत करने वाले नहीं है।

इस बीच, याची और विपक्षी के बीच समझौता भी हो गया।

अपर शासकीय अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करना राज्य के विरुद्ध अपराध है।

इसे आपसी सुलह-समझौते से नहीं निपटाया जा सकता।

सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी का व्यापक प्रभाव जनमानस पर पड़ता है।इससे उनकी भावनाएं भी आहत होती हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया।

स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन

प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कमी से छात्र परेशान हैं।

शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।

इसके बाद भी प्रतिवादी अधिकारी रिक्त पदों को न भरकर मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने यह टिप्पणी कृषि औद्योगिक विद्यालय और एक अन्य की ओर रिक्त पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर की।

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि संस्थान के बार-बार अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों ने प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए।

बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून-2022 से रिक्त हैं।

स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर विद्यालय की और से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

घरेलू हिंसा में पति के पारिवारिक सदस्यों को गलत फंसाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा में पति के पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों का गलत तरीके से फंसाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए विवाहित बहनों के खिलाफ की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया,

हालांकि न्यायालय ने कहा कि सास और पति के खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी। ब्यूरो

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