
*परिचितों की हैवानियत की शिकार बन रहीं बच्चियां*
– साढ़े सात साल में गोरखपुर में 110, कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया में 115 वारदातें
अपनों से ही मासूम बच्चियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं।पड़ोसी और परिचित ही भरोसे का कत्ल कर रहे हैं।
12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियां सबसे ज्यादा इन्हीं की हैवानियत का शिकार बन रही हैं।
ज्यादातर मामलों में *आरोपित 40 वर्ष से अधिक उम्र के* हैं,जो यह सोचकर अपराध करते हैं कि इस उम्र की बच्ची कुछ कह नहीं पाएगी।
लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। कई *बच्चियां खुद अपनी मां या परिवार को बताकर आवाज उठा रही हैं,जिससे केस दर्ज हो रहे* हैं।
आंकड़ों के अनुसार, गोरखपुर जिले में अप्रैल 2018 से अब तक 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दरिंदगी की 110 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं।
इनमें *अधिकांश मामलों में पड़ोसी, रिश्तेदार या परिचित* ही शामिल पाए गए।
वहीं कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज जिलों में भी इसी अवधि में कुल 115 घटनाएं सामने आई हैं।
पुलिस जांच में तीन मामले फर्जी पाए गए इनमें एक गोरखपुर तो दो महराजगंज के मामले हैं,जबकि चार की विवेचना जारी है।
बाकी 218 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और कई मामलों में कोर्ट से सजा भी मिल चुकी है।
अधिकारियों के अनुसार,अधिकतर घटनाएं गांव या मोहल्ले के आसपास ही घटित हुईं।
*परिजनों की व्यस्तता और बच्चों पर कम निगरानी* का फायदा उठाकर अपराधी इस तरह की वारदातों को अंजाम देते हैं।
पुलिस ने सभी मामलों में सख्ती दिखाई है और पीड़ित बच्चियों को तत्काल मेडिकल, काउंसलिंग और कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
मानव सेवा संस्था *’सेवा’* के निदेशक *राजेश मणि* का कहना है कि
– स्कूलों और मोहल्लों में जागरूकता अभियान चलाना,
– माता-पिता को बच्चों से खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करना
– और संदिग्ध लोगों पर नजर रखना ही
ऐसे अपराधों को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
*12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ वारदात*
– गोरखपुर में – 110.
– कुशीनगर. में- 52.
– महराजगंज में – 46.
– देवरिया में- 27


