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नाले में बहे व्यक्ति की 28 घंटे बाद डेडबॉडी मिली:लखनऊ नगर निगम के अफसरों पर गाज; JE सस्पेंड, AE को नोटिस, ठेकेदार ब्लैकलिस्ट

नाले में बहे व्यक्ति की 28 घंटे बाद डेडबॉडी मिली:लखनऊ नगर निगम के अफसरों पर गाज; JE सस्पेंड, AE को नोटिस, ठेकेदार ब्लैकलिस्ट

लखनऊ : ठाकुरगंज की राधा ग्राम कालोनी में शनिवार की सुबह खुले नाले में बहे 45 वर्षीय सुरेश का शव करीब 24 घंटे बाद आइआइएम रोड पर बंधे के पास से बरामद हुआ। सफाई का काम करने वाले बुद्धा नाम के व्यक्ति ने शव को नाले में पड़ा देखा। इसके बाद सूचना परिवारजन और अन्य लोगों को दी गई। मौके पर पहुंचे परिवारजन ने मृतक की शिनाख्त सुरेश के रूप में की है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठाकुरगंज की इस घटना पर पीड़ित परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की। उन्होंने प्रमुख सचिव, नगर विकास को इस घटना पर जवाबदेही तय करने के साथ ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

पूरे परिवार की थी जिम्मेदारी

पेंटिंग का काम करने वाला 45 वर्षीय सुरेश पत्नी रेनू, मां-बाप व तीन बच्चों के साथ रहता था। उसके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी थी।

गौरतलब है कि नगर निगम की लापरवाही से ठाकुरगंज में डॉक्टर मंजू टंडन ढाल पर राधाग्राम कालोनी में शनिवार सुबह 45 वर्षीय सुरेश पत्थर टूटा होने से नाले में बह गए। तेज बारिश के बाद बाहर से चाय लेने निकले थे। वह चाय लेकर लौट रहे थे कि एक कार जलभराव में फंस गई, तो उसको बैक करवाकर निकलवा रहे थे। इसके बाद घर जाने लगे तो पानी ज्यादा भरा होने से दुकान के बगल में बने बंद नाले की तरफ चढ़ गए। उन्हें टूटे पत्थर का अंदाज नहीं था और उसमें जा गिरे। जब तक लोग कुछ समझ पाते तेज बहाव से सुरेश बह गए।

पास में ही मौजूद उनके बच्चे ने चीख-पुकार मचाई कि पापा डूब गए, तब इलाके में अफरातफरी मची। पास के दुकानदार ने सुरेश से कहा था कि आगे न बढ़ो, लेकिन वह समझ नहीं पाए और नाले में गिर गए। पूर्व पार्षद अनुराग पांडेय का कहना है कि नाले में पानी का तेज बहाव होने से सुरेश का पता नहीं चल सका। डेढ़ घंटे बाद पहुंचा बचाव दल भी सुरेश का पता नहीं कर सका। यह नाला ग्रीन कारीडोर (अटल प्रेरणा स्थल) के पास गोमती नदी में मिलता है।

नगर निगम मंजूरी देता तो न होता हादसा

शनिवार को जिस जगह घटना हुई, वहां नाला सफाई के दौरान बीस जगहों पर पत्थर टूट गए थे, लेकिन नगर निगम के अभियंताओं ने पत्थरों को बदलने की कोई कोशिश नहीं की और वहां पर सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किए। बीस दिन से पत्थर बदलने की फाइल ही तैयार हो रही थी और इस लापरवाही से सुरेश के साथ हादसा हो गया। पार्षद सीबी सिंह कहते हैं कि नगर निगम के अभियंताओं से कई बार कहा गया कि पत्थर को बदलवा दीजिए, लेकिन वह यही कहते कि अभी पत्रावली को ऊपर से मंजूरी नहीं मिली है। लिहाजा जलभराव के कारण पानी भरा होने से सुरेश नाले के टूटे पत्थर से अंजान थे और उसमे गिर गए। वह कहते हैं कि अगर बैरल नंबर 29 तक नाला बन गया होता तो जलभराव नहीं होता। अभी पानी घूमते हुए अटल स्मृति उपवन के पास गोमती नदी में जाता है, जिससे जलभराव देर तक बना रहता है। वह साल भर से नाला बनवाने की मांग कर रहे हैं।

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