Breaking Newsभारत

दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज गोरखपुर एवं ’मनराज कुंवर सिंह एजुकेशनल सोसाइटी’ द्वारा संचालित ’साइंस टेक इंस्टीट्यूट, लखनऊ’ के संयुक्त तत्वाधान में 29 से 31 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन इंटरनेशनल कांफ्रेंस

दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज गोरखपुर एवं ’मनराज कुंवर सिंह एजुकेशनल सोसाइटी’ द्वारा संचालित ’साइंस टेक इंस्टीट्यूट, लखनऊ’ के संयुक्त तत्वाधान में 29 से 31 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन इंटरनेशनल कांफ्रेंस

दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज गोरखपुर एवं ’मनराज कुंवर सिंह एजुकेशनल सोसाइटी’ द्वारा संचालित ’साइंस टेक इंस्टीट्यूट, लखनऊ’ के संयुक्त तत्वाधान में 29 से 31 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन इंटरनेशनल कांफ्रेंस के प्रथम दिन उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार, नोडल अधिकारी एवं प्रोफेसर, पैथोलॉजी विभाग, पी.जी.आई.एम.एस रोहतक ने विषय ’मल्टीडिसिपलिनरी रिसर्च एंड इनोवेशन (प्ब्।प्त्-2025)’ पर बोलते हुए कहा कि मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड इनोवेशन का तात्पर्य है विभिन्न शैक्षणिक व वैज्ञानिक क्षेत्रों की अंतः विषयात्मक सहभागिता से नई खोजों, समाधानों और तकनीकों का विकास। विशेषकर चिकित्सा क्षेत्र में यह दृष्टिकोण रोगों की सटीक पहचान, उपचार और रोकथाम में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। जैसे बायोटेक्नोलॉजी, डेटा साइंस और फार्मास्युटिकल साइंस के समन्वय से वैक्सीन और दवाओं के विकास की प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाया गया है। कोविड-19 वैक्सीन का त्वरित निर्माण इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जहां वायरोलॉजी, जेनेटिक्स, एपिडेमियोलॉजी और क्लिनिकल साइंस ने मिलकर अभूतपूर्व कार्य किया।

डॉ संजय ने आगे बोलते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मेडिकल इमेजिंग का है, जहां कंप्यूटर साइंस और रेडियोलॉजी के सहयोग से कैंसर जैसी जटिल बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान की जा रही है। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई. और एक्स-रे की छवियों का विश्लेषण कर सटीक निदान में सहायता कर रहे हैं, जिससे चिकित्सकीय निर्णय लेने में गति और सटीकता दोनों बढ़ी है। इसी तरह न्यूरोसाइंस और रोबोटिक्स के सम्मिलन से ब्रेन-मशीन इंटरफेस विकसित किए जा रहे हैं, जिससे लकवाग्रस्त मरीजों के लिए कृत्रिम अंगों का संचालन संभव हो सका है। इसके अतिरिक्त, पब्लिक हेल्थ और सोशल साइंस के समन्वय से स्वास्थ्य नीति निर्धारण में जनसंख्या के सामाजिक-आर्थिक कारकों को ध्यान में रखा जा रहा है। टेलीमेडिसिन, हेल्थ ऐप्स और डिजिटल प्लेटफार्म्स की सहायता से दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं, जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में समावेशिता और समानता बढ़ी है। इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड इनोवेशन न केवल विज्ञान और चिकित्सा को नई दिशा दे रहे हैं, बल्कि समाज के व्यापक हित में कार्य कर रहे हैं।

कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश सिंह, प्राचार्य, दिग्विजय नाथ पी.जी. कॉलेज गोरखपुर ने मुख्य अतिथि सहित भारत एवं अन्य देशों से जुड़े शिक्षकों एवं शोधार्थियों का स्वागत करते हुए आयोजन समिति सहित सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी एवं कहा कि आप सभी की भागीदारी इस आयोजन को और भी मूल्यवान बनाती है और बहु-विषयक ज्ञान एवं नवाचार की खोज के प्रति आपकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन बौद्धिक आदान-प्रदान, सहयोगात्मक शिक्षा और नवीन सोच के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करेगा।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. परीक्षित सिंह, कॉर्डिनेटर आई.क्य.ूए.सी, दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज गोरखपुर ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए कहा की यह कॉन्फ्रेंस ज्ञान साझा करने, अकादमिक संवाद और सहयोगात्मक सोच के लिए एक जीवंत मंच प्रदान करता है जो अनुशासनात्मक सीमाओं से परे है। यह ऐसे नेटवर्क बनाने का अवसर है जो भविष्य के नवाचारों और अनुसंधान-आधारित विकास को पोषित करेंगे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. नेहा सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जेएनएम मेडिकल कॉलेज, रायपुर ने किया। डॉ. एस.के. सिंह, महासचिव, साइंस टेक इंस्टीट्यूट, लखनऊ ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में डॉ. पूर्णिमा सिंह, डॉ. गरिमा अवस्थी, डॉ. सुशील सिंह, डॉ. प्रत्याशा त्रिपाठी और डॉ. अनुराधा मिश्रा, डॉ पीयूष सिंह, डॉ राम प्रसाद यादव, डॉ पवन पाण्डेय, डॉ शुभ्रांशु सिंह, डॉ सुभाष चंद्र, डॉ प्रतिमा सिंह, श्री वृजेश विश्वकर्मा अश्वनी श्रीवास्तव, शुभम पाण्डेय एवं रिसर्च स्कॉलर सहित अन्य देशों से लगभग 243 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। उक्त कार्यक्रम की जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ शैलेश कुमार सिंह ने दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button