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दस दिनों का होगा नवरात्र, पूरे दिन शुभ मुहूर्त में होगी कलश स्थापना

दस दिनों का होगा नवरात्र, पूरे दिन शुभ मुहूर्त में होगी कलश स्थापना

अष्टमी 30 सितंबर व एक अक्तूबर को होगी नवमी, दो दिन होगी चतुर्थी तिथिगोरखपुर। शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 22 सितंबर से हो रहा है। इस बार नवरात्र दस दिनों का होगा। चतुर्थी तिथि दो दिन की होगी। माता दुर्गा का आगमन हाथी पर व गमन डोली में होगा, दोनों ही शुभ माना गया है। पहले दिन कलश स्थापना ब्रह्म योग व श्रीवत्स नामक फलदाई औदायिक योग में शुभ मुहूर्त में होगा। दो अक्तूबर को विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा। रावण भी इसी दिन जलाया जाएगा।गोरखनाथ मंदिर संस्कृत विद्यापीठ के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. दिग्विजय शुक्ल ने बताया कि नवरात्र में प्रारंभ के दिन के अतिरिक्त तीन तिथियों का भी सर्वाधिक महत्व रहता है। ये तिथियां सप्तमी, अष्टमी और नवमी हैं। महासप्तमी के दिन पांडालों में मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। महासप्तमी 29 सितंबर दिन सोमवार को है। 25 व 26 सितंबर को दो दिन चतुर्थी तिथि में मां कूष्मांडा की पूजा होगी।

महाष्टमी का व्रत मंगलवार 30 सितंबर और नवमी एक अक्तूबर बुधवार को रहेगा। वहीं ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नवरात्र व्रत की पूजा परम सिद्धिदायिनी है। इसमें नौ तिथियों में नवरात्र व्रत किया जाता है। नवरात्र व्रत करने वाले को नौ दिनों (यदि आप दिन का हो तो आठ दिन, यदि दस दिन को हो तो दस दिन) तक केवल एक समय भोजन करना चाहिए। नवरात्र व्रत में जो नौ तिथियों में उपवास नहीं कर सकते तो वह यदि सप्तमी, अष्टमी और नवमी- इन तीन तिथियों में उपवास करें तो भी उनकी कामना सिद्ध हो जाती है। एक समय भोजन करके या रात्रि में भोजन करके अथवा बिना मांगे जो मिल जाए उसी को प्राप्त करके जगज्जननी भगवती दुर्गा की पूजा सभी सनातन धर्म के लोगों को, प्रसन्नता पूर्वक, भक्ति भाव से ग्राम, नगर, घर या शक्तिपीठों पर सम्पन्न करनी चाहिए।

पूरे दिन हो सकेगी कलश स्थापनाशारदीय नवरात्र का शुभारंभ 22 सितंबर सोमवार से हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन आस्था भाव के साथ श्रद्धालुओं की ओर से कलश स्थापना की जाएगी। बताया जा रहा है कि नवरात्र के प्रथम दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग न होने से कलश स्थापना के लिए कोई बाधा नहीं रहेगा। सुबह 06:01 बजे से शाम छह बजे तक कभी भी कलश को स्थापित किया जा सकता है। इसके बाद पूरे दस दिनों तक माता की आराधना की जाएगी।

नवमी में होगा कन्या पूजन व हवनशारदीय नवरात्र की नवमी एक अक्तूबर को है। इसको लेकर कन्या पूजन व हवन नवमी में होगा। मां दुर्गा के व्रत करने वाले व्रतियों के लिए आश्विन शुक्ल नवमी तिथि को हवन करना सर्वोत्तम माना गया है। यह पहली अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 6 मिनट के बाद दिन में 2 बजकर 37 मिनट तक उत्तम रहेगा। मां दुर्गा की प्रसन्नता के लिए नवमी तिथि में हवन सर्वोत्तम माना जाता है। मां दुर्गा के व्रतारंभ और हवन में राहु काल का विचार नहीं किया जाता है।

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