गोरखपुर मौत के 2 साल बाद ऑटो मालिक ने कैसे कर दिए साइन,ऑटो दूसरे के नाम हुआ ट्रांसफर

सिस्टम पर सवाल:- पार्ट- 01
आरटीओ विभाग का गजब कारनामा
गोरखपुर मौत के 2 साल बाद ऑटो मालिक ने कैसे कर दिए साइन,ऑटो दूसरे के नाम हुआ ट्रांसफर
गोरखपुर। संभागीय परिवहन विभाग में फर्जीवाड़े का नया मामला सामने आया है। लगभग 2 साल पहले दिवंगत ऑटो मालिक की ऑटो दूसरे के नाम स्थानांतरित कर दी गई। सोमवार को मृतक ऑटो मालिक राजन पांडे की पत्नी सुनीता पांडे ने पत्रकारों को विज्ञप्ति के माध्यम से आरोप लगाया कि उनके मृतक पति लगभग 2 वर्ष पहले 8 अक्टूबर 2023 को लखनऊ के कल्याण सिंह कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर से मृत्यु हो गई थी,आरोप है कि सुनीता पांडे के पति स्वर्गीय राजन पांडे की मृत्यु के बाद से ही उनके ससुर एवं दोनों देवर हमेशा ताना-बाना देते रहते थे, तथा घर से प्रताड़ित कर बाहर निकाल दिए।
उसके बाद से ही सुनीता पांडे अपने मायके के सहारे अपने 3 वर्षीय बच्चे को लेकर भरण पोषण के लिए घर-घर जाकर नौकरी चाकरी कर अपना व बेटे का जीविकोपार्जन करती है।
सुनीता पांडे ने बताया कि उनके पति राजन पांडे के नाम से घर मे एक ऑटो था,जिसका नम्बर UP53 GT6139 है,उक्त ऑटो को चलाकर राजन पांडे अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे,उनकी मृत्यु के बाद
सुनीता ने गाड़ी का चाभी एवं कागजात, एवं पति का समस्त दस्तावेज अपने ससुर से मांग की, सुनीता का आरोप है कि उनके ससुर ने गाड़ी का कागजात,पति का दस्तावेज एवं ऑटो का चाभी देने से मना कर दिया। जिसको लेकर सुनीता पांडे ने थाना तिवारीपुर जाकर मामले को लेकर न्याय की गुहार लगाई, उपरोक्त मामले को लेकर थाने पर यह सुलह हुआ कि दोनों पक्ष अपने घर जाएंगे एवं सुनीता को उसके पति का समस्त दस्तावेज,ऑटो का कागज एवं ऑटो का चाभी उनके ससुर सुनीता पांडे को सुपुर्द कर देंगे।
लेकिन घर जाने के बाद अनीता पांडे के ससुर एवं उनके दोनों देवर मिलकर खूब बेइज्जत किया उसके बाद घर से बाहर निकाल दिया।
यह भी आरोप है कि सुनीता पांडे के पति के लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद दिनांक 19 जुलाई 2025 को आरटीओ विभाग ने सुनीता पांडे के ससुर ओमप्रकाश पांडे के नाम से ऑटो ट्रांसफर कर दिया गया।
उपरोक्त गाड़ी ट्रांसफर वाले मामले को लेकर संभागीय विभाग के परिवहन ऐप पर गाड़ी नंबर का जांच किया गया तो पता यह चला कि अरुण कुमार एआरटीओ के आईडी से ऑटो मालिक स्वर्गीय राजन पांडे का ऑटो 19 जुलाई 2025 ही ट्रांसफर हो गया है। जिसको लेकर सुनीता पांडे लगभग 1 महीने तक संभागीय विभाग,गीडा में जिम्मेदारों के दफ्तरों का चक्कर लगाती रही, लेकिन वहां से जवाब यही मिलता है कि आपका काम जल्द हो जाएगा।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि
जिस ऑटो मालिक की मौत लगभग दो साल पहले हो गई है वह पृथ्वी पर दोबारा आकर कैसे हस्ताक्षर कर सकता है।
क्या दिवंगत ऑटो मालिक राजन पांडे ने स्वयं आरटीओ कार्यालय आ कर प्रपत्रों पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद वाहन स्थानांतरित किया गया?
एआरटीओ अरुण कुमार किसके हस्ताक्षर की सहमति के आधार पर सत्यापन करके ऑटो ओम प्रकाश पांडे के नाम से ट्रांसफर कर दिए?
यह एक योगीराज में यक्ष प्रश्न बना हुआ है।



