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गोरखपुर राज्यपाल ने जताई चिंता- विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति बेहतर नहीं, समाज के अनुकूल नहीं आ रहे परिणाम

गोरखपुर राज्यपाल ने जताई चिंता- विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति बेहतर नहीं, समाज के अनुकूल नहीं आ रहे परिणाम

इस दौरान उन्होंने 76 मेधावियों को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने कहा कि शोध के निष्कर्ष केवल प्रकाशित ही न हों बल्कि नगर निगम, जिलाधिकारी और सरकार तक पहुंचें तथा उनका व्यावहारिक उपयोग भी हो। अयोध्या में प्रदूषण पर किए गए शोध का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निष्कर्ष निकालना पर्याप्त नहीं बल्कि उस पर आगे की कार्रवाई आवश्यक है।

राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शोध तो हो रहे हैं लेकिन समाज के अनुकूल परिणाम नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में शोध की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है, इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। शोध के पेटेंट काे कॉमर्शियल बनाने की जरूरत है। इसके लिए इंड्रस्टी को कैंपस में बुलाएं और छात्रों को भी इंड्रस्टी तक ले जाएं।राज्यपाल ने कहा कि पूरे प्रदेश में अगले साल से दीक्षांत समारोह जुलाई से ही शुरू होंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय समय से रिजल्ट घोषित कर प्रवेश करा लें। वह सोमवार को योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 44वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए दीक्षोपदेश दे रही थीं।

इस दौरान उन्होंने 76 मेधावियों को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने कहा कि शोध के निष्कर्ष केवल प्रकाशित ही न हों बल्कि नगर निगम, जिलाधिकारी और सरकार तक पहुंचें तथा उनका व्यावहारिक उपयोग भी हो। अयोध्या में प्रदूषण पर किए गए शोध का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निष्कर्ष निकालना पर्याप्त नहीं बल्कि उस पर आगे की कार्रवाई आवश्यक है।राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि आपकी उपस्थिति लैब, लेक्चर और लाइब्रेरी में अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। यूपी देश की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला प्रदेश है, इसलिए विश्वविद्यालयों को और अधिक जिम्मेदारी से कार्य करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी, अन्यथा विद्यार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। साथ ही उन्होंने महाविद्यालयों को समय पर प्रैक्टिकल और परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए।

एमपी-एमएलए विश्वविद्यालय में राजनीति न करें, क्षेत्र में जाएंराज्यपाल ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों में एमपी-एमएलए शिक्षक भी हैं। वे विश्वविद्यालय में उच्च पदों पर भी हैं जबकि उन्हें पांच साल का अवकाश मिलता है कि वे क्षेत्र में जाएं और समाज में सरकार की जनपयोगी कार्यों के बारे में जानकारी दें। उन्होंने सुझाव दिया कि यूनिवर्सिटी में राजनीति न करें।समर्थ पोर्टल से बचा लिए 200 करोड़ रुपयेराज्यपाल ने कहा कि पहले विश्वविद्यालयों में प्रवेश, परीक्षा परिणाम के लिए एजेंसी से काम कराया जाता था। इसमें राज्य सरकार का 200 करोड़ रुपये खर्च होता था। उन्होंने इसके लिए समर्थ पोर्टल की व्यवस्था की। इससे 200 करोड़ रुपये बच गए। अब समर्थ पोर्टल को और बेहतर बनाने पर काम होना चाहिए।

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