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गोरखपुर दो माह बाद आज से खुल गया चिड़ियाघर, बर्ड फ्लू के संक्रमण की वजह से था बंद

गोरखपुर दो माह बाद आज से खुल गया चिड़ियाघर, बर्ड फ्लू के संक्रमण की वजह से था बंद

चिड़ियाघर में डेढ़ माह के अंदर पांच वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत सबसे पहले हुई थी। इसके बाद पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात को बाघिन शक्ति और आठ मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। 23 मई को एक काकाटेल की मौत भी हो गई थी।

बर्ड फ्लू की वजह से करीब दो माह तक बंद रहने के बाद गोरखपुर चिड़ियाघर मंगलवार से दर्शकों के लिए खुल गया शासन से अनुमति मिलने के बाद सोमवार को चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से इसका आदेश जारी कर दिया गया। सुबह नौ से शाम पांच बजे तक प्राणि उद्यान में वन्यजीवों के दीदार किए जा सकेंगे।सोमवार को परिसर में उगी घास और झाड़-झंखाड़ की साफ-सफाई की गई। टिकट काउंटर और कंप्यूटर भी सही किए गए। दर्शकों को जांच के बाद ही प्रवेश मिलेगा। गेट पर स्थित स्टाॅक रूम में उन्हें अपना सामान रखना होगा। इसके अलावा दर्शकों का पैर और हाथ का सैनिटाइजेशन होगा फिर उन्हें प्रवेश दिया जाएगा।

शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में बर्ड फ्लू के चलते सात मई को बाघिन शक्ति की मौत हो गई थी। 12 मई को राष्ट्रीय उच्च पशुरोग संस्थान, भोपाल से आई रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई थी। इसके बाद 13 मई से प्राणि उद्यान दर्शकों के लिए बंद है। इस वजह से गर्मी की छुट्टी में बच्चे चिड़ियाघर नहीं घूम पाए। दूर-दराज से आए पर्यटकों को भी मायूस लौटना पड़ा।चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने आकर अन्य वन्यजीवों के स्वास्थ्य की जांच की। नमूना लिए और जांच के लिए भोपाल व बरेली भेजा। इसी बीच बाघ पटौदी की तबीयत खराब हो गई। मुख्य वनाधिकारी के निर्देश पर उसे कानपुर चिड़ियाघर भेजा गया, जहां एक हफ्ते बाद उसकी मौत हो गई। जांच में उसमें भी बर्ड फ्लू मिला। इसके बाद कानपुर चिड़ियाघर को भी बंद कर दिया गया।

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