गोरखपुर जिला अस्पताल के सामने दवा की 7 दुकानों का निरस्त होगा लाइसेंस

गोरखपुर जिला अस्पताल के सामने दवा की 7 दुकानों का निरस्त होगा लाइसेंस
जिला अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का पुलिस ने शनिवार को वेरिफिकेशन किया। इसके लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया था। टीम ने अस्पताल के आसपास संचालित होने वाले मेडिकल स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का पूरा ब्योरा नाम, पता, आधार कार्ड और मेडिकल स्टोर संचालक के दस्तावेजों की जांच की।
जिला अस्पताल में मरीजों और उनके तीमारदारों से मारपीट करने के आरोपी मेडिकल स्टोर संचालकों और उनके एजेंटों पर चाबुक चलने वाला है। हाल ही में सामने आए मारपीट प्रकरण के बाद पुलिस ने जांच तेज कर दी है। अब जिला अस्पताल के सामने की सात दुकानदारों के खिलाफ ड्रग लाइसेंस निरस्त कराने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, पिछले दिनों जिला अस्पताल में एक मरीज के तीमारदार ने एजेंटों के दबाव में आकर दवा नहीं खरीदी और खुद सस्ते दामों पर दूसरी दुकान से दवा ले ली। इराज मेडिकल स्टोर के एजेंटों ने अस्पताल परिसर में घुसकर उसके साथ मारपीट कर दी। घटना से हड़कंप मच गया और तीमारदार सुशील कुमार भारती की तहरीर पर 20 अगस्त को पुलिस ने केस दर्ज किया।
मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी भी की गई। मारपीट की घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज की और अगले ही दिन सीओ कोतवाली ओंकार दत्त तिवारी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान पांच मेडिकल स्टोर के एजेंट मौके पर पकड़े गए जिन्हें पुलिस ने शांतिभंग की धाराओं में चालान कर दिया।पूछताछ में इन एजेंटों ने जिन दुकानों के नाम बताए, उनके खिलाफ पुलिस अब और कठोर कदम उठाने जा रही है। पुलिस जल्द ड्रग नियंत्रण विभाग को पत्र भेजकर सात दुकानों के लाइसेंस निरस्त कराने की सिफारिश करेगी। इसके अलावा डीएम को भी पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मरीजों और तीमारदारों को महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर करना न सिर्फ अवैध है बल्कि गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
मरीजों और तीमारदारों को सस्ती दवा का देते हैं झांसाजिला अस्पताल परिसर में मेडिकल स्टोर के एजेंटों का घूमना कोई नई बात नहीं है। ये एजेंट मरीजों को कम कीमत पर दवा दिलाने का झांसा देकर अपने साथ ले जाते हैं और वहां महंगी दवाएं थमा देते हैं। जबकि प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र पर सस्ती दरों पर वही दवाएं उपलब्ध रहती हैं।इसी तरह मरीजों को धोखा देकर आर्थिक शोषण किया जाता है। अब पुलिस का रुख साफ है कि ऐसे दुकानदारों और एजेंटों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पुलिस पत्राचार कर रही है।
स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का हुआ
वेरिफिकेशनजिला अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का पुलिस ने शनिवार को वेरिफिकेशन किया। इसके लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया था। टीम ने अस्पताल के आसपास संचालित होने वाले मेडिकल स्टोर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का पूरा ब्योरा नाम, पता, आधार कार्ड और मेडिकल स्टोर संचालक के दस्तावेजों की जांच की।पिछले दिनों जिला अस्पताल में तीमारदार से मारपीट के मामले में कोतवाली पुलिस केस दर्ज कर जांच कर रही है। जबरन दवा नहीं बेची जा सकती। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। दुकानों के लाइसेंस निरस्त कराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है: अभिनव त्यागी, एसपी सिटी