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गोरखपुर एम्स का रंग होगा ‘लाल’, भव्य स्वागत की तैयारियां- ‘जर्मन हैंगर’ से निखरेगी छटा

गोरखपुर एम्स का रंग होगा ‘लाल’, भव्य स्वागत की तैयारियां- ‘जर्मन हैंगर’ से निखरेगी छटा

एम्स के प्रशासनिक भवन और अन्य स्थानों पर अब ‘एम्स’ का नाम अब लाल रंग से लिखा जा रहा है। पहले यह गोल्डन रंग में था, लेकिन 30 जून को होने जा रहे पहले दीक्षांत समारोह और उसमें शामिल होने आ रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत की तैयारियों के दौरान यह बदलाव किया गया है।

आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। तैयारियों को लेकर अलग-अलग समितियां लगातार काम कर रही हैं। बरसात के मौसम को देखते हुए समारोह स्थल पर जर्मन हैंगर पंडाल लगाने का निर्णय लिया गया है। अगले दो-तीन दिनों में पंडाल सजना शुरू हो सकता है। उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण एक जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना है।

आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया था। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिया था कि 22 जून तक कार्य पूर्ण किए जाएं। लेकिन अभी भी कई कार्य अधूरे हैं। बारिश के कारण सड़क निर्माण व मिट्टी भराई के कार्यों की रफ्तार धीमी हो गई है।

परिसर में कई जगहों पर गड्ढे बने हुए हैं। इनके लिए बाहर से मिट्टी लाई जानी थी लेकिन अब बारिश के कारण मिट्टी नहीं मिल पा रही है। इसे बड़ी लापरवाही के रूप में देखा जा रहा है। बाहर से मिट्टी न मिलने के कारण आस-पास की मिट्टी से गड्ढों को भरने का कार्य किया जा रहा है। परिसर में अभी भी पंचकर्म कुटिया और ऑडिटोरियम की ओर जाने वाली सड़कों का काम पूरा नहीं हो सका है।परिसर में एक स्थायी हैलीपैड पहले से है। दो और अस्थायी हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। यह काम भी पूरा होने के करीब है। एडमिन ब्लॉक में अधूरे कार्यों को तेजी से पूरा किया जा रहा है। लेक्चर हॉल में मैन पावर बढ़ाकर फर्श पर टाइल्स पेंटिंग, सफाई आदि के कार्यों को तेजी से पूरा किया जा रहा है। चिकित्सा कक्ष में पेंट का कार्य, मरीजो के लिए बेड आदि की व्यवस्था की जा रही है।

यह है जर्मन हैंगर पंडाल की खासियतजर्मन हैंगर पंडाल विशेष आयोजनों के लिए आदर्श होते हैं। ये जलरोधक और अग्निरोधक सामग्री से निर्मित होते हैं। ये बारिश, गर्मी या सर्दी जैसे मौसमी बदलावों में सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए वहां का वातावरण आरामदायक होता है। इसे कम समय में स्थापित किया जा सकता है।

परिसर में लगे दो हजार औषधीय पौधेपरिसर को हरा-भरा बनाए रखने के लिए मैदान में गिलोय, अश्व गंधा, हड्डी जोड़, आंवला आदि औषधीय गुणों से युक्त लगभग दो हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। कुलपति प्रो के रामचन्द्र रेड्डी ने बताया कि अभी लगभग एक हजार और औषधीय पौधे लगाए जाने हैं।फोरलेन के निर्माण कार्यों में भी तेजीभटहट से बांस स्थान तक लगभग 12 किलोमीटर फोरलेन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसी रोड पर भटहट से आयुष विश्वविद्यालय की दूरी लगभग दो किलोमीटर है। भटहट से सटे बड़हरिया गांव के सामने पुलिया का निर्माण कार्य तेजी से पूरा करने के लिए लगभग दो सौ मजदूर, आधा दर्जन जेसीबी, पोकलैंड लगाए गए हैं। सड़क के बीच में डिवाइडर बनाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है। डिवाइडर पर बीच में फूल लगाए जाएंगे।

एम्स का रंग होना ‘लाल’एम्स के प्रशासनिक भवन और अन्य स्थानों पर अब ‘एम्स’ का नाम अब लाल रंग से लिखा जा रहा है। पहले यह गोल्डन रंग में था, लेकिन 30 जून को होने जा रहे पहले दीक्षांत समारोह और उसमें शामिल होने आ रहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत की तैयारियों के दौरान यह बदलाव किया गया है।राष्ट्रपति के आगमन को लेकर संस्थान में तैयारियों का दौर तेज है। परिसर की झाड़ियों की सफाई, पौधों की छंटाई-सजावट, सड़कों और स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत जैसे कार्य तेजी से चल रहे हैं। गेट नंबर दो के बाहर गमले रखने के लिए विशेष स्टेप बनाए गए हैं, ताकि प्रवेश मार्ग आकर्षक दिखे।

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