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गोरखपुर ईशू हॉस्पिटल के डॉक्टर समेत 12 पर लगा गैंगस्टर एक्ट- मरीजों की करते थे खरीद-फरोख्त

  1. गोरखपुर ईशू हॉस्पिटल के डॉक्टर समेत 12 पर लगा गैंगस्टर एक्ट- मरीजों की करते थे खरीद-फरोख्त

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि 17 फरवरी 2024 को तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने डीएम के आदेश पर पैडलेगंज स्थित ईशू हाॅस्पिटल में पंजीकरण व मानकों की जांच की। छापा मारने के दौरान तीन मरीज भर्ती मिले। लेकिन, कोई चिकित्सक मौके पर नहीं था। अस्पताल में मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ की शैक्षिक योग्यता मात्र फार्मेसी डिप्लोमा पाई गई।

मरीजों की खरीद-फरोख्त और मुर्दे का इलाज करने के आरोपी ईशू हॉस्पिटल के डॉक्टर, संचालक और गिरोह के 12 आरोपियों पर रामगढ़ताल थाने में गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने फरवरी 2024 में नौ आरोपियों पर केस दर्ज कर जेल भिजवाया था। एक साल बाद गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई है।रामगढ़ताल थाने के थानेदार चितवन कुमार ने गिरोह के सरगना चिलुआताल के मडिला गांव निवासी मनोज कुमार निगम, दीपू, दीपक गुप्ता, हाॅस्पिटल का पंजीकरण कराने वाले रामगढ़ताल इलाके के न्यू शिवपुरी काॅलोनी निवासी डाॅ. रणंजय प्रताप सिंह, गगहा के रियांव गांव के प्रधान नितिन यादव उसकी पत्नी रेनू, भाई अमन यादव उर्फ मोनू, सिकरीगंज के बिस्तुई गांव निवासी दिनेश कुमार, पिपराइच के पुरैया निवासी इंद्रजीत, शाहपुर के सिंहासनपुर निवासी सार्थक श्रीवास्तव, गगहा के कटसिकरा निवासी अजीत, गोबरहा के अजय के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज कराया है।

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि 17 फरवरी 2024 को तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने डीएम के आदेश पर पैडलेगंज स्थित ईशू हाॅस्पिटल में पंजीकरण व मानकों की जांच की। छापा मारने के दौरान तीन मरीज भर्ती मिले। लेकिन, कोई चिकित्सक मौके पर नहीं था। अस्पताल में मौजूद पैरामेडिकल स्टाफ की शैक्षिक योग्यता मात्र फार्मेसी डिप्लोमा पाई गई।
जांच में पता चला कि अस्पताल का संचालन रियांव गांव के प्रधान नितिन यादव की पत्नी रेनू यादव करती है। अस्पताल का पंजीकरण डाॅ. रणंजय प्रताप सिंह के नाम पर था। तीमारदारों ने बताया कि मरीज पहले बीआरडी मेडिकल काॅलेज लाए गए थे, जहां मनोज निगम और उसके गिरोह ने सुविधाएं न होने का भय दिखाकर यहां लाकर भर्ती करा दिया। इसमें एक मरीज की मौत हो गई। लेकिन, आरोपियों ने उसे जीवित बताते हुए ऑक्सीजन मास्क लगाकर तीमारदारों से रुपये वसूले थे।

इस तरह करते थे मरीजों की खरीद-फरोख्त का धंधापुलिस की जांच में सामने आया था कि मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लाया जाता था। वहां आसपास पहले से दलाल सक्रिय रहते थे, जिन्हें वहां मौजूद कर्मी, गार्ड, ट्राॅलीमैन सहयोग करते थे। जैसे ही मरीज एंबुलेंस से उतरता था, दलाल घेर लेते थे।इसके बाद मरीज के परिजनों को झांसे में लेकर निजी अस्पताल तक ले जाते थे। इसके बदले 10 से 25 हजार रुपये तक दलालों को मिलते थे। इस तरह भोलेभाले मरीज को ये गिरोह सामूहिक रूप से ठगकर निजी अस्पताल में भेज देते थे, जहां कोई सुविधा नहीं होती थी।इसके बावजूद भी मरीजों से इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी। मरीज भर्ती होने के 24 से 72 घंटे के बाद निजी अस्पताल मालिक एंबुलेंस गैंग के सरगना को नकद ऑनलाइन माध्यम से भी भुगतान करता था।

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