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गोरखपुर : आमों के रंग में रंगा गोरखपुर तृतीय आम महोत्सव

आमों के रंग में रंगा गोरखपुर तृतीय आम महोत्सव

गोरखपुर क्लब में आयोजित तृतीय आम महोत्सव में आमों की 50 से अधिक प्रजातियाँ प्रदर्शित की गईं। यह आयोजन न केवल स्वाद का, बल्कि संस्कृति और संरक्षण का उत्सव भी रहा। महिला समूहों और होटलों ने आम से बने…

गोरखपुर। कभी सुना है हाथी झूलना, लतवा, करेलवा, या नाजुक बदन, फुटबाल, मोहन भोग, किशन भोग आम का नाम? अगर नहीं, तो आज गोरखपुर क्लब में हुए तृतीय आम महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि आम सिर्फ दशहरी, कपूरी, गौवरजीत या चौसा तक सीमित नहीं है। आमों के नामों ने सबका ध्यान खींचा और दर्शकों की जिज्ञासा को स्वाद में बदल दिया। पूरे हॉल में आमों की सुगंध, रंग-बिरंगी प्रजातियां और व्यंजनों की विविधता ने इसे केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि गोरखपुर की सांस्कृतिक मिठास में डूबा हुआ उत्सव बना दिया। यह आयोजन स्वाद के साथ विरासत और संरक्षण की दृष्टि से भी एक प्रेरक पहल बन कर सामने आया।

मुख्य अतिथि इण्टैक चेयरमैन अशोक सिंह ठाकुर और निदेशक चैप्टर डिवीजन विशिष्ट अतिथि ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) अरविंद शुक्ला ने आयोजन की मुक्त कंठ से सराहना की। आयोजन में 10 नर्सरियों ने पौधों के स्टॉल लगाए। दीन दयाल उपाध्याय के गृह विज्ञान विभाग की ओर से प्रो दिव्या रानी के संयोजन में महिला समूहों और शहर के होटलों ने आम से बने व्यंजनों का प्रदर्शन किया। स्वाद, सृजनशीलता और सांस्कृतिक रंगों से सजा यह महोत्सव सभी को आकर्षित कर रहा था। कृषि वैज्ञानिक डा शैलेन्द्र राजन, डा एन के सिंह और प्रो वैदुर्य शाही आम की प्रजातियों के संरक्षण, रोग प्रबंधन, उत्पादन तकनीक पर मार्गदर्शन किया। महानगरवासी इस मेले में उमड़े। आम महोत्सव में कुलपति प्रो. पूनम टण्डन, मेयर डा. मंगलेश, डॉ नरेश अग्रवाल, उद्योगपति एस के अग्रवाल, विष्णु अजीत सरिया, डा. पी. एन. भट्ट, डा. शिवशंकर दास, डा. धर्म व्रत तिवारी, डा शिराज वजीह, पुष्प दन्त जैन और इण्टैक गोरखपुर कन्वेनर महावीर प्रसाद कण्डोई समेत काफी संख्या में लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इंटेक संयोजक एमपी कंडोई, संयोजक आचिंत्य लाहिड़ी, प्रदर्शनी संयोजक मुमताज खान ने सभी का स्वागत किया। यह महोत्सव केवल स्वाद का नहीं, बल्कि संस्कृति, संरक्षण और सामूहिक सहभागिता का उत्सव बनकर उभरा। आयोजकों ने यह भी संकेत दिया कि अगले वर्ष इसे और भव्य रूप दिया जाएगा। हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि लोगों ने झोला भर खरीदारी भी की। मुस्कान से भरे चेहरे इस बात का प्रमाण थे कि आम सिर्फ फल नहीं, संस्कृति का स्वाद भी है। आमों की विविधता ने कीर्तिमान बनाया इस बार आम महोत्सव में आमों की प्रजातियों की विविधता में कीर्तिमान बनाया। करीब 50 से अधिक प्रकार के आम प्रदर्शित किए गए। यहां गोरखपुर एन्वायरमेंटल एक्शन ग्रुप की ओर से कैम्पियरगंज के भगवानपुर गांव की महिलाओं गुड्डी, मतना और कमला देवी के स्टॉल पर आम की देशी प्रजातियों का समृद्ध संकलन उपस्थित था। इस स्टॉल पर देशी बड़का, देशी टपकवा, देशी कपूरी, दशहरी, देशी सिंदुरी, बीजू, देशी चुसनी, देशी बुदबुदवा, गौरजीत, देशी गोलहवा, देशी गेऊईया, देशी छोटकी, देशी लहसुनवा समेत कई अन्य प्रजातियां प्रदर्शित थीं। गेडिकल रोड बरगदही फार्म से माहरुफ अली और दानिश अली गौवरजीत, सफेदा (बूंदा), कपूरी आम लेकर आए थे। इन प्रजातियों का उनके पास 360 की संख्या में पेड़ संरक्षित हैं। तमुकहीराज और बरही इस्टेट के आम भी छाए कुशीनगर तमकुहीराज इस्टेट से आए प्रयागराज कृषि विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ वैदुर्य प्रताप शाही का स्टॉल भी आम प्रेमियों का ध्यान आकृष्ट कर रहा था। उनके स्टॉल पर करेलवा, हाथी झूल, लतर, फुटबाल, जायफल, कपूरी, बारामासी, जर्दा आम प्रदर्शित था। डॉ शाही कहते हैं कि इस आम महोत्सव में आकर मुझे एहसास हुआ कि हाथी झूल, लतर, जायफल, करेलवा, जर्दा और फुटबाल सरीखी प्रजातियों को संरक्षित करना पड़ेगा। बल्कि दूसरों को भी स्वयं कलम उपलब्ध करा लगाने के लिए प्रेरित करेंगे। उधर बरही इस्टेट के सुरेंद्र विक्रम सिंह राजी जगदीशपुर फार्म से आए आम ग्रीन बम्बईया, किशन भोग, फजली, आम्रपाली, दशहरी मिला कर कुल 23 प्रजातियों के आम प्रदर्शित थे। सुरेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि उनके फार्म हाउस पर तकरीबन 100 की संख्या में समृद्ध आम का बगीचा है जिसका संरक्षण भी किया जा रहा। बृजमनगंज बेला फार्म की ओर से निकिता अस्थाना मोहन भोग, नाजुक बदन, अल्फांसो, चौसा, दशहरी और गवरजीत की प्रजतियों प्रदर्शित की थीं।

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