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गुरुग्राम : रन फॉर यूनिटी देश के राष्ट्रीयकरण के प्रेणता श्रद्धेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित हैं-सुनीता दुग्गल

रिपोर्टर इंडिया नाउ 24 सुरेंद्र गुरुग्राम

रन फॉर यूनिटी देश के राष्ट्रीयकरण के प्रेणता श्रद्धेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित हैं-सुनीता दुग्गल

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी देश के किसान-मजदूर एवं कमेरे वर्ग के औजारों के लोहे से बना विश्व का आठवां अजूबा हैं-सुनीता दुग्गल रन फॉर यूनिटी पूरे देश में पूरे उत्साह एवं ऊर्जा से 31 अक्टूबर को आयोजित होगी-सुनीता दुग्गल रियासतों का एकीकरण कर भारत संघ का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी को समर्पित हैं रन फॉर यूनिटी-सुनीता दुग्गल स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूत एवं स्वाधीन भारत के प्रथम उप- प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री श्रद्धेय सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती 31 अक्टूबर को पूरे भारत वर्ष में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम की रचना-योजना की जानकारी देने के निमित्त प्रेसवार्ता का आयोजन भाजपा जिला कार्यालय गुरुकमल में किया गया। जिसमे मुख्यवक्ता के रूप में सिरसा से पूर्व सांसद एवं भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्या सुनीता दुग्गल पंहुची, मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहते हैं।

इस दिन को मनाने के पीछे का कारण लोगों को एकजुट करना और समाज के उत्थान के लिये उनके विचारों से अवगत कराना है। इसे पहली बार माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में वर्ष 2014 में मनाया गया था।

इस दिन सरदार पटेल के राष्ट्रीय अखंडता और एकता में योगदान के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये ‘रन फॉर यूनिटी जैसे विभिन्न आयोजन किये जाते हैं। वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया गया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची (182 मीटर) मूर्ति है। यह चीन की स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध प्रतिमा से 23 मीटर ऊंची तथा अमेरिका में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर लंबा) की ऊंचाई की लगभग दोगुनी है।

जनवरी 2020 में इसे शंघाई सहयोग संगठन में आठ अजूबों में शामिल किया गया था। सुनीता दुग्गल ने लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के व्यक्तित्व एवं उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यो के विषय मे विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नाडियाड गुजरात में हुआ था। वे भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे। भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने (एक भारत) तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने श्रेष्ठ भारत (अग्रणी भारत) बनाने के लिये भारत के लोगों से एकजुट होकर रहने का अनुरोध किया।

यह विचारधारा अभी भी आत्मनिर्भर भारत पहल में परिलक्षित होती है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है। आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के कारण उन्हें ‘भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत’ के रूप में भी याद किया जाता है। उन्होंने भारत की संविधान सभा की विभिन्न समितियों का नेतृत्व किया जिसमें मुख्य रूप से मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति, अल्पसंख्यकों और जनजातीय एवं बहिष्कृत क्षेत्रों पर समिति। प्रांतीय संविधान समिति का नेतृत्व किया। श्रद्धेय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने समाज मे व्याप्त कुरीतियों जैसे शराब सेवन, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और गुजरात एवं उससे बाहर महिला मुक्ति के लिये बड़े पैमाने पर काम किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ खेड़ा सत्याग्रह (वर्षं 1918) और बारदोली सत्याग्रह (वर्ष 1928) में किसान हित को एकीकृत किया। बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिसका अर्थ है ‘प्रमुख या नेता’। वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह (प्रार्थना और उपवास आंदोलन) के दौरान सरदार पटेल ने तीन महीने कैदियों की सेवा की। मार्च 1931 में पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन (46वें सत्र) की अध्यक्षता की, जिसे गांधी-इरविन समझौते की पुष्टि करने के लिये बुलाया गया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी कुशल नेतृत्व से लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत राज्य में शामिल होने के खिलाफ थीं। सरदार पटेल ने रियासतों के साथ आम सहमति बनाने के लिये अथक प्रयास किया लेकिन जहाँ भी आवश्यक हो, साम, दाम, दंड और भेद के तरीकों को अपनाने में संकोच नहीं किया। उन्होंने नवाब द्वारा शासित जूनागढ़ और निज़ाम द्वारा शासित हैदराबाद की रियासतों को जोड़ने के लिये बल का प्रयोग किया था, ये दोनों अपने-अपने राज्यों का भारत संघ के साथ विलय नहीं होने देना चाहते थे। सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ रियासतों का बिखराव और भारत के बाल्कनीकरण को रोका। सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों को ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ एकजुट किया, जिससे भारत को खंडित होने से रोका। उन्हें भारतीय रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने और रियासतों के भारतीय संघ के साथ गठबंधन करने हेतु राजी करने के लिये “भारत के लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है। आज हम उन्ही लौह पुरुष की याद में देश के एकीकरण की भावना जगाए रखने और उनके आदर्शों पर चलने के लिए दृढसंकल्पित हैं, श्रीमती सुनीता दुगल जी ने बताया की 7 नवम्बर 2025 को बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा रचित हमारे देश के राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् को भी 150 वर्ष पुरे हो जाएगे। राष्ट्रीय गीत हम सभी भारतीयों के लिए उर्जा-दायक एवं प्रेरणा दायक रहता है । आज की इस प्रेस वार्ता में भाजपा गुरुग्राम जिलाध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी ,जिला महामंत्री अजीत यादव, मनीष सैदपुर, जिला उपाध्यक्ष हितेश भारद्वाज, कुलदीप यादव, मीडिया प्रभारी हितेश चौधरी, सह-मीडिया प्रभारी राजन चौहान एवं पियूष सैनी उपस्थित रहे ।

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