गाजीपुर : संत कवि तुलसी की जन्मजयंती भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का दिन: पारसनाथ राय

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।
आज दिनांक।31/07/025को
संत कवि तुलसी की जन्मजयंती भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का दिन: पारसनाथ राय
(जखनियां गाज़ीपुर) रामचरित मानस जैसी कालजयी रचना को जन्म देने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के अवसर पर पं.मदनमोहन मालवीय इंटर कालेज के प्रांगण में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता पारसनाथ राय ने कहा कि यह केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का दिन है। गोस्वामी तुलसीदास का जन्म श्रावण शुक्ल सप्तमी को राजापुर, जिला चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। संत कवि तुलसीदास ने अपने जीवन को भगवान श्रीराम की भक्ति में समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भगवान राम के आदर्शों को घर-घर तक पहुँचाया। उन्होंने जब यह ग्रंथ लिखा, उस समय संस्कृत ही ज्ञान की भाषा मानी जाती थी, जिसे आम जनता समझ नहीं सकती थी। ऐसे में तुलसीदास ने जनभाषा में रामकथा जन-जन तक पहुँचाया।उनकी रचनाएँ केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और सामाजिक समरसता के पाठ भी हैं। हनुमान चालीसा उनकी एक ऐसी रचना है, जिसे आज भी करोड़ों लोग श्रद्धा से पढ़ते हैं। पराधीन सुख सपनेहु नाहीं ,मुखिया मुख सो चाहिए…, प्रात काल उठके रघुनाथा मातु पिता गुरु नावहिं माथा जैसी पंक्तियों के माध्यम से समाज को संस्कारित किया।कार्यक्रम के आरम्भ में छात्र छात्राओं द्वारा श्रीरामचरित मानस की शिक्षाप्रद पंक्तियों के वाचन के साथ गोस्वामी तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। तुलसी ने जहां भगवान राम और शबरी के चरित्र को मार्मिक ढंग से प्रदर्शित किया है तो दूसरी तरफ दूत अंगद के माध्यम से कूटनीतिक संदेश भी दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. नीरज राय ने किया तथा संचालन ओमप्रकाश पाण्डेय द्वारा किया गया।