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गाजीपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे सिद्धपीठ हथियाराम मठ

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।

आज दिनांक।11/010/025को

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे सिद्धपीठ हथियाराम मठ

— सिद्धिदात्री माँ बुढ़िया माई के किए दर्शन, कहा– “900 वर्ष पुरानी परंपरा आज भी दे रही है भारत को आध्यात्मिक ऊर्जा”

जखनिया, गाज़ीपुर। पूर्वांचल की प्राचीनतम और सिद्धतम शक्तिपीठों में शुमार सिद्धपीठ हथियाराम मठ आज धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बन गया, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहाँ पहुंचकर सिद्धिदात्री माँ बुढ़िया माई के दर्शन-पूजन किए।

माँ के दरबार में माथा टेकने के उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “यह सिद्धपीठ 900 वर्षों से तप और साधना का केंद्र रहा है, जहाँ ऋषियों ने तपस्या कर माँ को प्रकट किया था। यह वह स्थान है जहाँ से पूर्वी उत्तर प्रदेश में सनातन परंपरा की आध्यात्मिक ज्योति सदियों से प्रज्वलित है।”

“आध्यात्मिक चेतना ही राष्ट्र की शक्ति का स्रोत है” — योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री ने कहा कि “गाजीपुर की धरती न केवल संस्कृति और समृद्धि की जननी है, बल्कि यहाँ की प्रकृति में भी अध्यात्म बसता है। दुनिया के हर देश की अपनी पहचान है — जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देश औद्योगिक हैं, परंतु भारत अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के कारण जाना जाता है। यह भूमि त्रेता युग से ही तप और धर्म की भूमि रही है।”

उन्होंने बक्सर में विश्वामित्र के यज्ञ से लेकर भगवान राम के अवतार तक की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि “भारत की यही परंपरा है — जब तक आध्यात्मिकता जीवित रहेगी, तब तक राष्ट्र अमर रहेगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज क्षेत्र के लोकमंगल और राष्ट्रमंगल की साधना में निरंतर संलग्न हैं। “जो व्यक्ति आध्यात्मिक चेतना के साथ कार्य करेगा, वही भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ा सकेगा। बस धैर्य और संकल्प की आवश्यकता है।”

“रामराज्य की परिकल्पना अब साकार हो रही है”

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि “आज से 7-10 वर्ष पहले जो स्वप्न असंभव लगता था, आज वह साकार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भगवान श्रीराम अपनी जन्मभूमि अयोध्या में विराजमान हुए हैं। यह भारत की आत्मा का पुनर्जागरण है।”

उन्होंने कहा कि गाजीपुर को ऋषि विश्वामित्र के नाम पर मेडिकल कॉलेज समर्पित किया गया है, ताकि यह भूमि पुनः अपने ऋषि परंपरा से जुड़ सके।

“परिवारवाद नहीं, राष्ट्रवाद सर्वोपरि”

मुख्यमंत्री ने कहा कि “हमें परिवारवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद से ऊपर उठकर माँ भारती की सेवा करनी होगी। आतताइयों को जवाब देने के लिए हर भारतीय को एकजुट रहना होगा। जब हम बँटते हैं, तो कटते हैं; जब एक रहते हैं, तो नेक बनते हैं।”

उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में वीरता दिखाने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल तथा 1971 के महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडे के परिजनों का अंगवस्त्र देकर सम्मान किया और कहा कि यह पूरे प्रदेश का सौभाग्य है।

“योगी जी का चरित्र राम के समान” — महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति

कार्यक्रम में पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि “जैसे उत्तराखंड देवभूमि है, वैसे ही आज गाजीपुर की भूमि भी दिव्यता से ओतप्रोत हो गई है। योगी जी जब गौमाता के चरणों में शरणागत हुए, तब ऐसा प्रतीत हुआ मानो भगवान स्वयं अवतरित हो गए हों।”

उन्होंने भावुक होकर कहा कि “योगी जी का हृदय निर्मल है। जब मैं उनके आवास पर गया, तो उन्होंने स्वयं एक गिलास गौमाता का दूध प्रसाद रूप में दिया। वह दूध मुझे 29 वर्षों की तपस्या भूलने पर विवश कर गया। यही वह दिव्यता है जो संतों के माध्यम से राष्ट्र को दिशा देती है।”

डबल इंजन सरकार जनता की आस्था पर खरी उतर रही है

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “हमारी सरकार बोलती कम है, करती ज़्यादा है। जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं। यही डबल इंजन सरकार की पहचान है।”

कार्यक्रम में श्रद्धा और भक्ति का संगम

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री व प्रभारी मंत्री रविंद्र जयसवाल, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, एमएलसी विशाल सिंह चंचल, एमएलसी विनीत सिंह, राज्यसभा सांसद संगीता बलवंत, विधायक बेदी राम, जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राय, बृजेंद्र राय, सानंद सिंह, देवरहा बाबा, सत्यानंद महाराज, जिला पंचायत सदस्य सपना सिंह, भानु प्रताप सिंह, कृष्ण बिहारी राय, सुनील सिंह, सरोज कुशवाहा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष यादव ने किया। कार्यक्रम उपरांत हजारों की संख्या में भक्तों ने सिद्धपीठ परिसर में माँ बुढ़िया माई का प्रसाद ग्रहण किया और स्वयं को धन्य माना।
मुख्यमंत्री ने समापन अवसर पर कानपुर प्रांत प्रचारक श्री राम सिंह की वयोवृद्ध माता रुक्मिणी देवी को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया।
✨ “जहाँ श्रद्धा है, वहीं सिद्धि है; जहाँ सनातन की ज्योति प्रज्वलित है, वहीं भारत की आत्मा जीवित है।”
— सिद्धपीठ हथियाराम मठ, गाजीपुर

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