गाजीपुर : धारा 370 के सवाल पर डॉ.श्यामाप्रसाद और सरजू पाण्डेय का चिंतन एक था: डॉ संतोष कुमार मिश्र

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।
आज दिनांक।25/08/025को
धारा 370 के सवाल पर डॉ.श्यामाप्रसाद और सरजू पाण्डेय का चिंतन एक था: डॉ संतोष कुमार मिश्र
(गाजीपुर)स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवम् अभूतपूर्व सांसद सरजू पाण्डेय की आज पुण्यतिथि है। टेलीविजन पर जब पाण्डेय जी के मास्को में निधन का समाचार 25अगस्त 1989 को प्रसारित हुआ तो उनके चाहने वालों के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं था।एक निर्भीक नेता के रूप में अविस्मरणीय योगदान के लिए पीढ़ियां उनको याद करेंगी। स्वर्गीय सरजू पाण्डेय के पास जीवट भी था और जनाधार भी। जीवट के बदौलत उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया और अपनी जनाधार की शक्ति का प्रयोग संसद में करते हुए धारा 370 के विरोध में संसद में खड़े होकर डॉ लोहिया, मधु लिमये, एस.एम.बैनर्जी, हनुमंतैया के साथ खुलकर विचार रखे। इस डिबेट में सत्ताईस सांसदों ने भाग लिया जिसमें सत्रह सांसद कांग्रेस के थे, पांच सांसद जम्मू कश्मीर के थे। सदन का मत था कि यह कानून हटे।यह और बात है कि उस दौर में तुष्टिकरण के आगे इन नेताओं की एक न चली। एकमात्र शेख अब्दुल्ला को नाराज न करने की कीमत पर राष्ट्रीय हितों की तिलांजलि देते हुए सदन की भावना को दरकिनार कर दिया गया। वर्तमान में अगर धारा 370जम्मू कश्मीर से समाप्त हुई है तो उसकी वैचारिक पृष्ठभूमि एक दिन में तैयार नहीं हुई है। डॉ श्यामप्रसाद मुखर्जी ; जिनका संकल्प था कि विधान लेंगे या प्राण देंगे से लेकर वर्तमान तक एक लंबी श्रृंखला है। इसमें एक महत्वपूर्ण नाम सरजू पाण्डेय का भी है। यह कपोल कल्पित बात नहीं है अपितु उस दौर के दस्तावेज ,गृहमंत्री अमित शाह का सदन में दिया वक्तव्य और संघ के बड़े अधिकारी आदरणीय अरुण कुमार जी के वक्तव्यों में दर्ज है। माननीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में धारा 370 समाप्त करने के लिए हो रही बहस के दौरान सरजू पाण्डेय के योगदान का उल्लेख किया है। ये नेता वैचारिक धरातल पर भले ही अलग-अलग थे लेकिन देश के सवाल पर इनके मन में कोई भ्रम नहीं था।गाजीपुर के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दे पर सोच रखने वाले महान विभूति सरजू पाण्डेय की स्मृति को पुण्यतिथि के अवसर पर सादर नमन।