छत्तीसगढ़ : जंगलों से अवैध बोल्डर खनन, सैकड़ों ग्रामीणों ने की सख्त कार्यवाही की मांग

जंगलों से अवैध बोल्डर खनन, सैकड़ों ग्रामीणों ने की सख्त कार्यवाही की मांग
क्रेशर मालिक व वन विभाग कर्मचारीयो की मिली भगत
शैलेंद्र कुमार द्विवेदी
इंडिया नाऊ २४
छत्तीसगढ़
जिला ब्यूरो, बलरामपुर
बलरामपुर जिले के कई इलाकों में क्रेशर संचालकों द्वारा हरे-भरे जंगलों को उजाड़ते हुए अवैध रूप से बोल्डर निकाले जाने का मामला सामने आया है। सैकड़ों ग्रामीणों गांव में इकट्ठा होकर बैठक कर निर्णय लिया गया जंगल जमीन को बचाना है जो कि जंगलों के भीतर पोकलेन और जेसीबी मशीनें दिन-रात बेखौफ चल रही हैं, जिससे हरियाली नष्ट हो रही है और प्राकृतिक संतुलन खतरे में पड़ रहा है।
दो गांवों के सरपंच विरेन्द्रनगर सरपंच मर्तराज सिंह,शारदापुर सरपंच मोहन सिंह व ग्रामीणों भूतनाथ यादव,रामनाथ सिंह,फजीहत यादव असर्फी यादव ने बताया कि गांव का उपसरपंच ने अपने क्रेशर के लिए बोल्डर जंगल से खोदकर निकाल रहा है और हरे भरे पेड़ खत्म हो रहा है यह भी आरोप लगाया कि यह पूरा खेल वन विभाग और खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। अधिकारियों की ओर से न तो कभी मौके पर निरीक्षण किया जाता है और न ही ठोस कार्रवाई की जाती है। स्थिति यह है कि जिम्मेदार विभाग मौन साधे हुए हैं और जंगलों का सीना चीरकर बोल्डर की तस्करी की जा रही है।
गांव में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने एकजुट होकर बैठक की और अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग उठाई। उनका कहना है कि क्रेशर मालिक द्वारा जंगलों की जमीन अतिक्रमण भी किया जा रहा है यदि प्रशासन जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं करता तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि जंगलों को उजाड़ने की यह प्रवृत्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक साबित होगी। उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल जांच दल गठित कर जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि जिम्मेदार अधिकारी अपनी भूमिका नहीं निभाते तो वे स्वयं वन संरक्षण और पर्यावरण बचाने की लड़ाई सड़क पर उतरकर लड़ेंगे।
ग्रामीणों की मांगें:अवैध बोल्डर खनन पर तत्काल रोक लगे। ,पोकलेन एवं जेसीबी मशीनों को जब्त किया जाए।मिलीभगत करने वाले विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई हो। जंगलों की सुरक्षा के लिए स्थायी निगरानी तंत्र बनाया जाए।
एसडीओ वन विभाग
इस संबंध में वाड्रफनगर एसडीओ प्रेमचन्द मिश्रा से मोबाइल से फोन लगाया गया लेकिन फोन नहीं लगा । क्योंकि अक्सर दुसरे जिला में निवास करते हैं अपने वनमंडल से बाहर रहते हैं इसलिए पक्ष नहीं लिया जा सका।

