गाजीपुर : जखनिया ब्लॉक में डीएपी खाद की भारी किल्लत, किसानों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।
आज दिनांक।07/07/025को
जखनिया ब्लॉक में डीएपी खाद की भारी किल्लत, किसानों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
जखनिया, गाजीपुर। जखनिया ब्लॉक में डीएपी खाद की भारी कमी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। रोपाई का सीजन चल रहा है, लेकिन साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद पूरी तरह से गायब है। किसानों ने इसकी शिकायत कई बार उच्चाधिकारियों से की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
स्थानीय किसान नेता देवनारायण सिंह, अश्वनी सिंह, विजय बहादुर सिंह, वीरेंद्र गौतम,ने बताया कि खाद संकट को लेकर दो बार जिलाधिकारी गाजीपुर को मोबाइल और व्हाट्सएप पर सूचना दी गई, तीन बार जिला कृषि अधिकारी को अवगत कराया गया, और मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी दो बार शिकायत दर्ज की गई, बावजूद इसके समस्या जस की तस बनी हुई है।
स्थिति यह है कि करीब 15 प्रतिशत किसान बिना खाद के ही रोपाई कर चुके हैं, जिससे आने वाले समय में धान की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। किसानों का आरोप है कि अधिकारी न तो किसानों की सुन रहे हैं और न ही खाद की आपूर्ति को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं।
किसानों ने आशंका जताई है कि जिले में खाद की उपलब्धता के बावजूद ब्लॉक स्तर पर जानबूझकर डीएपी खाद नहीं दी जा रही, ताकि प्राइवेट विक्रेताओं की बिक्री बढ़े। यह भी आरोप लगाया गया है कि बाजारों में मिलावटी खाद खुलेआम बेची जा रही है, लेकिन अधिकारी केवल थैली भरने और औपचारिक निरीक्षण कर वापस लौट जा रहे हैं।
किसानों ने प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि 7 जुलाई तक खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो वे जखनिया तहसील मुख्यालय पर धरना देंगे। इस आंदोलन में हर दल के कार्यकर्ता और “सर्वदलीय तहसील विकास एवं जन कल्याण संघर्ष समिति” भी किसानों के साथ उतरने की बात कह रही है।
एक किसान नेता ने बताया, “अब तो लगने लगा है कि इस मुद्दे को लेकर हमें मुख्यमंत्री तक पहुंचना पड़ेगा या फिर किसी प्रतिनिधि को भेजना पड़ेगा, क्योंकि स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ने हालात को विकट बना दिया है।”
गाजीपुर जिले में पहले कभी इतनी खाद की किल्लत नहीं देखी गई थी, लेकिन इस बार स्थिति बेहद चिंताजनक है। किसानों ने साफ कहा है कि वे प्राइवेट खाद नहीं खरीदेंगे, और यदि हालात नहीं बदले, तो बिना खाद के ही रोपाई करेंगे, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन हरकत में आता है या नहीं, क्योंकि किसानों का सब्र अब जवाब देने लगा है।