गाजीपुर : गाजीपुर में सीवर बना ‘सुनामी मौत’: बिना मास्क, बिना सिस्टम… ज़िंदा घुसे, लाश बनकर लौटे दो मजदूर!

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।
आज दिनांक।04/06/025को
गाजीपुर में सीवर बना ‘सुनामी मौत’: बिना मास्क, बिना सिस्टम… ज़िंदा घुसे, लाश बनकर लौटे दो मजदूर!
गाजीपुर | शहर के नखास इलाके में बुधवार को ऐसा मंजर देखने को मिला जिसने इंसानियत, सिस्टम और संवेदनशीलता तीनों को शर्मसार कर दिया। सीवर की सफाई करने उतरे दो लोग ज़हरीली गैस की चपेट में आकर दम तोड़ बैठे। न मास्क था, न ऑक्सीजन सिलेंडर, न कोई सुरक्षा टीम — था तो सिर्फ़ अंधा सिस्टम और एक बेरहम ठेकेदार।
पहले उतरा प्रहलाद… फिर उतरा वसीम… और फिर ऊपर नहीं आया कोई।
बलरामपुर का प्रहलाद, पेशे से मजदूर, रोज़ी-रोटी के लिए ज़िंदगी दांव पर लगाकर नाले में उतरा। कुछ मिनटों में सांसों ने साथ छोड़ दिया। बाहर खड़ा वसीम, जो गाजीपुर कोतवाली इलाके का रहने वाला था, उसे बचाने के लिए खुद नाले में कूदा… और दोनों की लाशें दो घंटे बाद निकलीं दम घुटने से मौत।
सवालों के घेरे में ठेकेदार और प्रशासन:
स्थानीय लोगों का फूटा ग़ुस्सा
“क्या मजदूर की ज़िंदगी इतनी सस्ती है कि उसे बिना सुरक्षा साधनों के गटर में धकेल दिया जाए?”
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया:
> “रस्सी डालकर शव निकालने की घंटों कोशिश होती रही, लेकिन कोई मास्क, सिलेंडर या ट्रेनिंग नहीं थी। सब कुछ भगवान भरोसे था।”
सीआरओ आयुष चौधरी ने माना:
मौत ज़हरीली गैस से हुई
ठेकेदार ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया
जांच के आदेश दे दिए गए हैं
दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी
रेस्क्यू ऑपरेशन दो घंटे तक चला। तब तक भीड़ बेकाबू हो गई। लोग चीखते रहे, रोते रहे,
हर साल ऐसे कई मजदूर मरते हैं, और कोई हिसाब नहीं मांगता
ठेकेदारों की मनमानी और सरकारी अफसरों की चुप्पी — इसका नतीजा हैं ये लाशें
अब सवाल उठता है क्या सिर्फ जांच के भरोसे लाशों को दफना दिया जाएगा? या इस बार कोई ठेकेदार और अधिकारी पर वाकई कार्रवाई किया जाएगा?