
बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर
आज दिनांक।11/11/025
गाज़ीपुर में दलितों पर अत्याचार और पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ उठी आवाज़
अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन ने सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष जांच व कठोर कार्रवाई की मांग
जखनियां/गाज़ीपुर।गाज़ीपुर ज़िले के विभिन्न गांवों में दलित समुदाय के लोगों पर लगातार हो रहे अत्याचारों और पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन ने शासन-प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।यूनियन के ज़िला मंत्री विजय बहादुर सिंह और वीरेंद्र कुमार गौतम ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजकर कहा कि हाल के महीनों में दुल्लहपुर, सादात, कैथवली, धर्मांगतपुर सहित कई क्षेत्रों में दलित परिवारों के साथ मारपीट, लूटपाट, उत्पीड़न और यहां तक कि हत्या जैसी घटनाएं हुईं।ज्ञापन में बताया गया कि शिकायतों के बावजूद पुलिस ने इन मामलों में या तो रिपोर्ट दर्ज नहीं की या साथ ही जांच कर लीपापोती कर दी। कई घटनाओं में महिलाओं और नाबालिगों को भी निशाना बनाया गया, लेकिन पुलिस द्वारा न तो सुरक्षा दी गई और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई।यूनियन नेताओं ने कहा कि पुलिस की मिलीभगत से दबंग वर्ग के लोग दलित परिवारों को लगातार धमका रहे हैं। जब कोई पीड़ित न्याय की मांग लेकर थाने या प्रशासन के पास जाता है, तो उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
यूनियन ने अपनी प्रमुख माँगों में कहा है कि—
1. सभी घटनाओं की निष्पक्ष व उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
2. दोषी पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
3. पीड़ित परिवारों को सुरक्षा व मुआवज़ा प्रदान किया जाए।
4. महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो संगठन व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
गरीब महिलाओं पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के उत्पीड़न के खिलाफ यूनियन का प्रदर्शन
मुख्यमंत्री व राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, वसूली एजेंटों पर मुकदमा दर्ज करने और कर्ज माफी की माँगइसी क्रम में आज अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि माइक्रोफाइनेंस व अन्य निजी बैंकिंग कंपनियाँ ज़िले के बाज़ारों और ग्रामीण इलाकों में गरीब व निर्बल महिलाओं से अत्यधिक ब्याज और दबावपूर्ण वसूली कर रही हैं।यूनियन ने आरोप लगाया कि वसूली एजेंट महिलाओं के घर जाकर उनके दरवाजे पर बैठकर मानसिक उत्पीड़न करते हैं, जिसके चलते कई महिलाएँ आत्महत्या कर चुकी हैं या घर-गांव छोड़कर अन्यत्र जाने को मजबूर हैं।
यूनियन की प्रमुख माँगें—
माइक्रोफाइनेंस व प्राइवेट बैंक समूह बनाकर वसूली पर रोक लगाई जाए।
वसूली एजेंटों के उत्पीड़न पर तुरंत मुकदमे दर्ज किए जाएँ।
समूह से जुड़ी गरीब महिलाओं का कर्ज माफ किया जाए।
महिलाओं के उत्थान के लिए सरकारी क्षेत्र से कम ब्याज पर ऋण व रोजगार योजनाएँ चलाई जाएँ।इस अवसर पर यूनियन के ज़िला इंचार्ज विजय बहादुर सिंह, ज़िला मंत्री वीरेंद्र गौतम, राम अवध शुक्ला चौहान, सोनू राम, शीला देवी, महिला प्रकोष्ठ की ज़िला अध्यक्ष रेखा देवी, अनीता, शकुंतला, कैलाश बनवासी, पिंटू बनवासी, रिंकू बनवासी, सुशील राम, राजनाथ, संजय विश्वकर्मा, रामसेवक यादव, चंद्रिका, रामवृक्ष गिरी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता एवं महिलाएँ मौजूद रहीं।


