जेपी को श्रद्धांजलि देने बलिया पहुंचे उपराष्ट्रपति, लोकतंत्र सेनानियों से किया संवाद; 45 मिनट तक वार्ता

जेपी को श्रद्धांजलि देने बलिया पहुंचे उपराष्ट्रपति, लोकतंत्र सेनानियों से किया संवाद; 45 मिनट तक वार्ता
यूपी के बलिया में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन और बिहार के राज्यपाल आरएफ मोहम्मद खान ने महानायक जयप्रकाश नारायण को याद कर उन्हें नमन किया। जेपी आंदोलन और उनके कार्यों की भी चर्चा की।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेपी ने आंदोलन किया था। उनके आंदोलन से पूरे देश में काफी बदलाव आया। उक्त बातें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने सिताब दियारा के लालाटोला में लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को संबोधित करते हुए कहीं। संपूर्ण क्रांति के महानायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, बिहार के राज्यपाल आरएफ मोहम्मद खान लाला टोला स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर शनिवार को पहुंचे थे। जेपी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन लिया।
ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त के साथ स्मारक में बने वाचनालय, प्रभावती पुस्तकालय व अन्य संस्थानों का निरीक्षण कर जानकारी प्राप्त की। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। उन्होंने जेपी ट्रस्ट के हाल में बैठे कुछ लोगों से जेपी के बारे में संवाद किया। प्रभावती पुस्तकालय का भी अवलोकन किया।
जनेऊ तोड़ो आंदोलन की चर्चा
संवाद के दौरान उपस्थित लोगों ने बताया कि यहीं पर जेपी ने जनेऊ तोड़ो आंदोलन का शंखनाद किया था। उन्हें गांव के लोगों के सम्मान, विकास, शिक्षा को लेकर काफी चिंता थी। 1978 में जेपी अंतिम बार अपने पैतृक गांव सिताब दियारा आए तो काफी अस्वस्थ थे। फिर भी शुभचिंतकों से मिलने के इच्छुक थे। सूचना मिलते ही जेपी के यहां लोगों का तांता लग गया। तीन दिन तक वह गांव पर रहे। वापस 11 सितंबर 1978 को हेलीकॉप्टर में बैठने लगे तो उस समय पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर साथ थे।
चंद्रशेखर से कहा कि चंद्रशेखर हमाारे गांव का ख्याल रखिएगा। यह कहते हुए उनकी आंखें भर आई थीं। उपराष्ट्रपति ने बिहार सरकार के निमंत्रण पर वहां बुलाए गए लोकतंत्र रक्षक सेनानियों से संवाद किया। लगभग 45 मिनट तक सिताब दियारा में रुकने के बाद उपराष्ट्रपति बिहार के राज्यपाल के साथ सड़क मार्ग से पटना वापस लौट गए।



