
आशियाना थाने के नाम दर्ज 8673 स्क्वायर फीट जमीन का अब कोई अता-पता नहीं है. हैरानी की बात यह है कि कागजों में यह जमीन अब भी मौजूद है, लेकिन मौके पर इसका नामोनिशान नहीं. थाने में नए निर्माण के दौरान जब नापजोख हुई, तब इस रहस्य का खुलासा हुआ. अब लखनऊ पुलिस ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) से जमीन तलाशने में मदद मांगी है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां पुलिस विभाग को आवंटित करोड़ों की जमीन अचानक गायब हो गई. जानकारी के मुताबिक, एलडीए ने 27 जुलाई 1998 को लखनऊ के आशियाना थाने के लिए 43,201 स्क्वायर फीट जमीन आवंटित की थी. यह जमीन थाने के भवन, महिला बैरक और विवेचना कक्षा जैसी जरूरतों के लिए दी गई थी. उस वक्त यह क्षेत्र शहर से दूर, अपेक्षाकृत खाली इलाका माना जाता था. लेकिन अब, जब चारों ओर तेजी से शहरीकरण हुआ, तो यह जमीन सोने के भाव की हो गई. जिसकी कीमत आज करीब 8.5 करोड़ रुपये आंकी जा रही है.
नए निर्माण के दौरान हुआ खुलासा
आशियाना थाना परिसर में नए महिला बैरक और विवेचना कक्षा के निर्माण के लिए हाल ही में नापजोख की गई. इसी दौरान यह चौकाने वाली बात सामने आई कि थाने को मिली कुल जमीन में से करीब 8673 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल गायब है. माप में पाया गया कि थाने का वर्तमान क्षेत्रफल केवल 34,528 स्क्वायर फीट ही है. अधिकारियों के अनुसार, बची हुई जमीन पर अब किसी और का कब्जा है या उसे कहीं गलत तरीके से दर्ज कर लिया गया है. पुलिस विभाग ने जब इस पर जांच कराई, तो पाया कि थाने के आस-पास के कई भूखंड निजी स्वामित्व में हैं.
कागजों में पूरी, हकीकत में गायब
कागजों पर एलडीए के रिकार्ड में पूरी 43,201 स्क्वायर फीट जमीन मौजूद है. लेकिन मौके पर जब सर्वे किया गया तो हकीकत कुछ और निकली. इससे न केवल पुलिस विभाग, बल्कि प्रशासन भी हैरान है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी जमीन का हिस्सा कैसे गायब हो गया? क्या किसी ने धीरे-धीरे कब्जा कर लिया, या फिर जमीन के सीमांकन में कभी गलती हुई थी? पुलिस अधिकारियों का कहना है कि थाने के चारों तरफ बनी कॉलोनियों और भूखंडों की जांच की जाएगी. जिन भूखंडों पर संदिग्ध निर्माण हुआ है, उनका सीमांकन फिर से कराया जाएगा
लखनऊ पुलिस ने मांगी एलडीए से मदद
आशियाना थाने की गायब जमीन की खोज अब पुलिस और एलडीए के संयुक्त प्रयासों से की जाएगी. इस संबंध में पुलिस ने एलडीए को औपचारिक पत्र भेजा है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि एलडीए पुराने नक्शे, सीमांकन रिपोर्ट और आवंटन की कॉपी साझा करे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 8673 स्क्वायर फीट जमीन आखिर गई कहां. एलडीए अधिकारियों का कहना है कि पुरानी फाइलें और रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं. अगर किसी ने गलत तरीके से इस भूमि का कब्जा किया है, तो कार्रवाई की जाएगी.
स्थानीय लोगों में भी चर्चा का विषय बनी घटना
आशियाना थाने की यह जमीन विवाद अब स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बन गया है. इलाके के लोगों का कहना है कि आसपास की कई प्लॉटिंग कॉलोनियों में पहले भी विवाद हो चुके हैं. कुछ लोगों ने पुराने रिकॉर्ड की जांच किए बिना मकान बनवा लिए. अब इस जांच से कई और चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है.
आठ करोड़ की जमीन का रहस्य जल्द सुलझाने की कोशिश
लखनऊ पुलिस और एलडीए अब इस “गायब जमीन” के रहस्य को सुलझाने में जुट गए हैं. अफसरों का कहना है कि यह सिर्फ एक थाने की जमीन का मामला नहीं, बल्कि शहर की भूमि प्रबंधन व्यवस्था की साख से जुड़ा सवाल है. जल्द ही नापजोख और जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

