आज देश को मिल जाएगा नया उपराष्ट्रपति

आज देश को मिल जाएगा नया उपराष्ट्रपति
दोनों ही उम्मीदवारों को लेकर कई जानकारियां सामने आ चुकी हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच ही कई तुलनात्मक खूबियां भी मौजूद हैं, जिनका जिक्र एक साथ कम ही हुआ है। आइये जानते हैं राधाकृष्णन और सुदर्शन रेड्डी की पर्सनैलिटी और ट्रैक रिकॉर्ड का एक संक्षेप तुलनात्मक विश्लेषण…
उपराष्ट्रपति चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 9 सितंबर को संसद के दोनों सदन- लोकसभा और राज्यसभा के सांसद इकट्ठा होकर अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए मतदान में हिस्सा लेंगे। जहां एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को प्रत्याशी बनाया गया है, वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। दोनों ही उम्मीदवारों को लेकर कई जानकारियां सामने आ चुकी हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच ही कई तुलनात्मक खूबियां भी मौजूद हैं, जिनका जिक्र एक साथ कम ही हुआ है। आइये जानते हैं राधाकृष्णन और सुदर्शन रेड्डी की पर्सनैलिटी और ट्रैक रिकॉर्ड का एक संक्षेप तुलनात्मक विश्लेषण…
सीपी राधाकृष्णन: बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन ग्रैजुएट से एक सच्चे संघ कार्यकर्ता और राज्यपाल तकसीपी राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में हुआ। राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आते हैं। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हिस्सा बन गए। 1974 में वे आरएसएस की राजनीतिक इकाई भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने।साल 1996 में इनको भाजपा तमिलनाडु का सचिव बनाया गया। इसके बाद 1998 में कोयंबटूर से ये पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए और 1999 में फिर से जीत का परचम लहराया। साथ ही संसद में उन्होंने टेक्सटाइल पर स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया है। ये पीएसयू समिति, वित्त पर परामर्श समिति और शेयर बाजार घोटाले की जांच करने वाली विशेष समिति के सदस्य भी रहे हैं। साल 2004 में इन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भारतीय संसदीय दल के हिस्से के रूप में संबोधित भी किया है। ये ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे। लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़ा हूं, यह देश की लड़ाई’, चुनाव से पहले सुदर्शन रेड्डी का भावुक संदेश
2004 से 2007 तक वे भाजपा तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर लंबी रथयात्रा निकाली, जो 93 दिनों तक चली। इस यात्रा में उन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने, छुआछूत समाप्त करने और मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान जैसे मुद्दे उठाए। माना जाता है इस यात्रा से इनका राजनीतिक कद और बढ़ गया था। इसके अलावा उन्होंने दो पदयात्राएं भी कीं। 2016 से 2020 तक वे कोचीन स्थित कोयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में कोयर निर्यात 2532 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। 2020 से 2022 तक वे भाजपा के ऑल इंडिया प्रभारी रहे और उन्हें केरल का जिम्मा सौंपा गया।
18 फरवरी 2023 को उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने मात्र चार महीनों में राज्य के सभी 24 जिलों का दौरा किया और जनता व प्रशासन से सीधे संवाद किया। 31 जुलाई 2024 को उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया। इसी बीच साल 2024 में इन्हें तेलंगाना का भी राज्यपाल बनाया गया था। इतना ही नहीं, ये पुड्डुचेरी के उपराज्यपाल भी बनाए जा चुके हैं। सीपी राधाकृष्णन एक अच्छे खिलाड़ी भी रहे हैं। कॉलेज स्तर पर वे टेबल टेनिस चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे। इसके अलावा उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल का भी शौक रहा है। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन और कई यूरोपीय देशों सहित दुनिया के कई हिस्सों की यात्राएं की हैं। इनकी पत्नी का नाम आर. सुमति है और इनके दो बच्चे हैं।
बी. सुदर्शन रेड्डी: वकील से सुप्रीम कोर्ट तक, 40 साल का कानून का ज्ञानविपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका जन्म 8 जुलाई, 1946 को अकुला मायलाराम गांव, पूर्व इब्राहिमपट्टनम तालुका, रंगारेड्डी (आंध्र प्रदेश) में हुआ था। उनका नाता वर्तमान में कंदुकुर राजस्व मंडल के तहत आने वाले गांव के एक कृषक परिवार से रहा। उन्होंने हैदराबाद में पढ़ाई की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1971 में ही अधिवक्ता के रूप में अपनी पहचान बना ली। इसके बाद वे वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के चैंबर में शामिल हुए।Vice President Election: विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी से अमर उजाला की खास बातचीतउन्होंने हैदराबाद के नगर दीवानी न्यायालयों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कई मामलों का निपटारा किया। वे 8 अगस्त, 1988 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सरकारी वकील के रूप में नियुक्त हुए। वे राजस्व विभाग के प्रभारी भी रहे और 8 जनवरी, 1990 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद वे कुछ समय के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी नियुक्त हुए।
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी एवी एजुकेशन सोसाइटी की ओर से संचालित शैक्षणिक संस्थानों के सचिव और संवाददाता भी रहे। 1993-94 के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष चुने गए। 8 जनवरी, 1993 को उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील नियुक्त किए गए।
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी 2 मई, 1995 से आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। उन्हें 2005 में गौहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 2007 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। वे 2011 में सेवानिवृत्त हुए। रिटायरमेंट से कुछ पहले ही उन्होंने एक अहम सलवा जुडुम मामले में सुनवाइयों का हिस्सा रहे थे। इस मामले ने उन्हें सामाजिक न्याय के पैरोकार के तौर पर पहचान दिलाई।
2013 में लोकपाल कानून पारित होने के बाद पूर्व जज रेड्डी को गोवा का पहला लोकायुक्त नियुक्त किया गया। मजेदार बात यह है कि उनकी नियुक्ति हुई तब राज्य की भाजपा की सरकार थी। इस दौरान मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री थे। बाद में वे हैदराबाद में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में भी शामिल रहे।