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गोरखपुर मोबाइल की लत बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा बन रही है। _डॉक्टर रूप कुमार बनर्जी

गोरखपुर मोबाइल की लत बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा बन रही है। _डॉक्टर रूप कुमार बनर्जी

धीरे-धीरे मोबाइल लोगों का सुकून खत्म करते जा रहा है । आजकल जिसे देखिए वह मोबाइल पर अनावश्यक अंगुली घूमाते दिख जाएगा । इस दौरान कुछ लोग जरूरी काम भी नजर अंदाज कर दे रहे हैं। अधिकतर अभिभावक बच्चों के मोबाइल चलाने से परेशान हैं । अभिभावकों की शिकायत है कि बच्चे पढ़ाई लिखाई छोड़कर मोबाइल में व्यस्त रह रहें हैं जिससे बच्चों की भविष्य की चिंता सता रही है । चिकित्सक चाहे बच्चे हो चाहे जवान हो सभी को अनावश्यक रूप से मोबाइल चलाने के लिए साफ-साफ मना करते हैं ।

आजकल छोटे बड़े सभी के आंखों में दिक्कतें , सर में दर्द आदि की समस्याएं देखने को मिल रही हैं लेकिन काफी दिक्कतों के बावजूद लोग मोबाइल से दूरी नहीं बना रहे हैं । मोबाइल से हो रही दिक्कतों के विषय में प्रसिद्ध होमियोपैथी चिकित्सक डॉक्टर रूप कुमार बनर्जी ने बताया कि आज के समय में मोबाइल का अत्यधिक और अनावश्यक इस्तेमाल एक धीमा ज़हर बनता जा रहा है। इससे न केवल आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है,बल्कि सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, एकाग्रता में कमी, मानसिक तनाव तथा गर्दन और रीढ़ की समस्याएँ भी तेज़ी से बढ़ रही हैं।
डॉ. बनर्जी ने विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि मोबाइल की लत बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा बन रही है। लगातार स्क्रीन देखने से उनकी याददाश्त और पढ़ने-लिखने की क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ सकता है। छोटे बच्चों में बराबर मोबाइल देखने पर ऑटिज्म, behaviour change और डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी हो सकती है।
उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों के लिए मोबाइल उपयोग की समय-सीमा तय करें, उन्हें खेल, योग, पढ़ाई और पारिवारिक बातचीत की ओर प्रेरित करें। साथ ही स्वयं भी बच्चों के सामने मोबाइल का सीमित उपयोग करें, ताकि बच्चे सही आदतें सीख सकें।

डॉ. बनर्जी ने यह भी कहा कि यदि समय रहते मोबाइल के दुष्प्रभावों को नहीं समझा गया, तो आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है। अतः सजगता, संयम और संतुलन ही मोबाइल उपयोग का सही उपाय है।

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